भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आश्रम परिसर में सदाचार संवाद कार्यक्रम संपन्न।
कुरुक्षेत्रl
गुलजारी लाल नंदा एक महान राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद व् अर्थशास्त्री थे। जिन्होंने भारत की राजनीती को करीब से देखा था, साथ ही इन्होने देश के बुरे दौर में देश की कमान अपने हाथों में लेकर देश को बिखरने नहीं दिया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नंदा जी ने असीम योगदान दिया। वह राष्ट्र सेवा के लिए सदैव समर्पित रहे।1921 में नंदा जी ने महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन में भाग लिया था। यह विचार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के तत्वावधान में आश्रम परिसर में आयोजित सदाचार संवाद में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ गुलजारी लाल नंदा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने नंदा जी के जीवन ओर अनेक प्रेरणादायी प्रसंग प्रस्तुत किये। विद्यार्थियों ने इस अवसर ओर नंदा जी एक द्वारा बताये नैतिकता एवं सदाचार एक मार्ग का संकल्प लिया। सभी बच्चों ही मिशन की ओर से उपहार स्वरूप स्टेशनसरी आदि भेंट की गई।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने नंदा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा आज का वर्तमान धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र गुलजारी लाल नंदा की परिकल्पना का परिणाम है। उनका कुरुक्षेत्र से आत्मीय लगाव था। भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा का सम्पूर्ण जीवन श्रीमदभगवदगीता के निष्काम कर्मयोग को समर्पित था। गुलजारीलाल नंदा एक कुशल राजनीतिज्ञ और मर्मज्ञ अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने 1964 में जवाहरलाल नेहरू और 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद दो संक्षिप्त अवधि के लिए भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वे एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने भारत के कार्यवाहक प्रधान मंत्री के रूप में दो बार सेवा की है। मातृभूमि के प्रति समर्पण और सेवा के थे भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 15 जनवरी 1998 को उनका निधन हो गया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा के भारतीय राजनीतिज्ञो को गुलजारी लाल नंदा से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। भविष्य के विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए देश के सभी विभिन्न दायित्वों का निर्वाह कर रहे राजनैतिको को नंदा जी के जीवन और कार्य को आत्मसात करना होगा। नंदा एक जीवन भर एक तपस्वी की भांति लोकसेवा को समर्पित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के विद्यार्थी, सदस्य आदि उपस्थित रहे।