आनंदमय एवं संशयमुक्त मानवजीवन निर्माण के लिए श्रीमदभगवदगीता एक अमूल्य निधि है: डा. आर. सी. मिश्र

राज्य

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सोंलहवे दिवस आनंदमय जीवन के निर्माण में श्रीमदभगवदगीता विषय पर गीता संवाद कार्यक्रम संपन्न।

मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में हरियाणा के पुलिस महानिदेशक एवं हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक डा. आर. सी. मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि पहुचे।

कुरुक्षेत्र/

जीवन में सभी खुश रहना चाहते है और सभी लगातार उस खुशी की खोज में हो जो उनके जीवन को आनंदमय कर दे। चाहे बच्चा हो या बूढ़ा, पुरुष हो या महिला, संसार के किसी भी देश, जाति, धर्म, पंथ का व्यक्ति हो, आदिकाल से सभी परमानंद की खोज में है। लेकिन दुर्भाग्य से, आनंद के वास्तविक ज्ञान की चाह में वह सभी इसे हर जगह खोज रहे हैं और निराश हो रहे हैं।श्रीमदभगवदगीता हमें दिखाती और बताती है कि वह वास्तवक आनंद कहाँ है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सोंलहवे दिवस आनंदमय जीवन के निर्माण में श्रीमदभगवदगीता विषय पर गीता संवाद कार्यक्रम में हरियाणा के पुलिस महानिदेशक एवं हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक डा. आर. सी. मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये।कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतमाता एवं योगेश्वर श्रीकृष्ण के चित्र के समक्ष माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
डा. आर. सी. मिश्र ने कहा भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में विषादग्रस्त अर्जुन को मोह और अवसाद से मुक्त किया था। आज भी हम सबके जीवन एवं विचार में अनवरत महाभारत चल रहा है। समाज में लोग किंकर्तव्य विमूढ़ हैं । मानव अपने कर्म और उद्देश्य से कटकर निरर्थक विचारों के ऊहापोह में डूब गए हैं । ऐसे संशयग्रस्त समय में गीता मार्गदर्शिका के रूप में हमारे सामने है ।अनिर्णय में झूलनेवाले का व्यक्तित्व खंडित हो जाता है। मानसिक दृष्टि से टूटे हुए लोग समाज, देश और संसार का कल्याण नहीं कर सकते हैं । गीता उन सभी भग्नचित व्यक्तियों का उपचार करने में समर्थ है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्रीमदभगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने आत्मा के स्वरूप के विषय में कहा है कि आत्मा सदैव एक रूप है। उसमे कभी विकार उत्पन्न नहीं होता है। इसलिये आत्मा को अविकारी कहा जाता है। आत्मा देह आदि उपाध्यों से युक्त होता है, जो औपाधिक है वास्तविक नहीं। को जहाँ एक ओर काव्य प्रतीत होती है वहीँ दूसरी ओर समाज के यथार्थ को संबोधित भी करती है। गीता संसार के सभी के प्रश्नों की उत्तर-कुंजिका है । यह प्रश्न चाहे निजी हो, सत्ता का हो, विज्ञान का हो, आधुनिकता का हो, श्रद्धा व विश्वास का हो अथवा अध्यात्म के रस से परिपूर्ण हो, सभी का उत्तर गीता में दृष्टव्य है । इसी कारण से यह ग्रन्थ मानव सभ्यता की धरोहर एवं अविनाशी सम्पति होती है । कार्यक्रम में डा. आर. सी. मिश्र ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थिओ को भगवान श्रीकृष्ण पर उत्तम चित्रकला बनाने के लिए पुरस्कृत किया। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा डा. आर. सी. मिश्र को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंट किया गया। कार्यक्रम में आभार ज्ञापन मातृभूमि सेवा मिशन के वरिष्ठ सदस्य जसवीर सिंह राणा ने किया।

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