अक्षय तृतीया परशुराम जयंती 2025
विष्णुना साक्षात्कृतं ज्ञानं श्रीविष्णुना साक्षात्कृतं ज्ञानं।।
30 अप्रैल 2025 दिन बुधवार को अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती पर्व मनाया जाएगा।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नीयै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यतानुसार अक्षय तृतीया के दिन से ही त्रेता युग का आरंभ माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है।
अक्षय तृतीया पर कुछ विशेष योग बनने जा रहे हैं–रोहिणी नक्षत्र,रवि योग,शोभन योग,गजकेसरी योग, सर्वार्थ सिद्धि योग,लक्ष्मी नारायण योग, मालव्य योग तथा मीन राशि में शुक्र, राहु, बुध और शनि की युति से चतुर्थ ग्रही योग का निर्माण हो रहा है, इसके अतिरिक्त चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रोहिणी नक्षत्र में एवं सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में, तथा शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होने से अक्षय तृतीया के फल को और भी विशेष बनाते हैं*।
आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का महत्व
वैशाख माह भगवान विष्णु जी का सबसे प्रिय माह माना जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं। इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय ( जिसका क्षय न हो) हो जाता है। इसलिए माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम शुभ ही शुभ होते है। परंपरागत रूप से, दिवाली से पहले धनतेरस की तरह अक्षय तृतीया को भी विशेष पर्व मानते है चूंकि अक्षय का अर्थ शाश्वत होता है इसलिए लोग अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने के लिए सोना, चांदी या घरेलू विद्युत उपकरण व वाहन आदि खरीदने के लिए शुभ मानते हैं।
*धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है*।
शुभ मुहूर्त:
अक्षय तृतीया तिथि प्रारंभ 29 अप्रैल 2025 सायं काल 05:34 से 30 अप्रैल 2025 अपराह्न 02:15 तक।
*अक्षय तृतीया पूजा हेतु शुभ मुहूर्त*–
प्रातः 05:42 से प्रातः 09:00 तक।
*पूजा विधि*
ब्रह्म मुहूर्त में दैनिक कार्यों से निवृत्त हो। गंगाजल से स्नान करें इस श्लोक का उच्चारण कर स्नान करें..
गंगेच यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधि कुरु।।
पूजा स्थल को स्वच्छ करने के उपरांत पूजा स्थल पर अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराएं। वस्त्र आभूषण प्रदान करने के उपरांत आसन प्रदान करें तथा रोली, कुमकुम अक्षत, पंचमेवा पंच मिठाई, सफेद पुष्प, तुलसी, मीठी पान व सुपारी अर्पित करें भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी के मंत्रों (ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः) का जाप करें। घी का दीपक जलाकर आरती करें। अक्षय तृतीया के अवसर पर अपनी सामर्थानुसार दान करना शुभ माना जाता है। अन्न, वस्त्रइत्यादि का दान करें, गाय को भोजन कराएं, जौ, तिल,भेंट पितरों के निमित्त दान करें, ब्राह्मण को भोजन अर्पित करें।
*(अक्षय तृतीया एक अबूझ और श्रेष्ठ मुहूर्त होने के कारण अक्षय तृतीया पर्व पर किए गए सभी मांगलिक तथा शुभ कार्य उत्तम फल प्रदान करते हैं)*।
ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी
8395806256