चैत्र नवरात्र 30 मार्च, रविवार से प्रारंभ होंगे – इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
: इस वर्ष चैत्र वासन्त नवरात्र 30 मार्च, रविवार से प्रारंभ होकर 06 अप्रैल, रविवार तक रहेंगे। शनिवार, 05 अप्रैल को श्री दुर्गाष्टमी और 06 अप्रैल, रविवार को श्री दुर्गा नवमी एवं श्रीराम नवमी का पर्व मनाया जाएगा।
श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि नवरात्र कलश स्थापन, ज्योति प्रज्वलन और देवी दुर्गा की साख लगाने के लिए 30 मार्च, रविवार को पूरा दिन शुभ है। प्रातःकाल में यह सभी कार्य संपन्न करना अत्यंत लाभकारी रहेगा।
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक चलने वाले इस व्रत के दौरान मां भगवती के नौ रूपों — शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। इस दौरान भगवती दुर्गा के पूजन के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पंडित द्वारा करवाना विशेष फलदायी माना गया है।
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां इस प्रकार हैं:
30 मार्च – नवरात्रि प्रतिपदा – मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना
31 मार्च – नवरात्रि द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तृतीया तिथि का क्षय होने के कारण द्वितीया और तृतीया दोनों की पूजा 31 मार्च को होगी — मां चंद्रघंटा पूजा
01 अप्रैल – नवरात्रि चतुर्थी – मां कूष्मांडा पूजा
02 अप्रैल – नवरात्रि पंचमी – मां स्कंदमाता पूजा
03 अप्रैल – नवरात्रि षष्ठी – मां कात्यायनी पूजा
04 अप्रैल – नवरात्रि सप्तमी – मां कालरात्रि पूजा
05 अप्रैल – नवरात्रि अष्टमी – मां महागौरी पूजा
06 अप्रैल – नवरात्रि नवमी – मां सिद्धिदात्री पूजा, श्रीराम नवमी एवं श्री दुर्गा नवमी का पर्व
मां दुर्गा का वाहन – शुभ संकेत
देवीभागवत के अनुसार:
“शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता।”
इस बार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 30 मार्च को रविवार के दिन हो रहा है, जिससे मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। हाथी पर सवार होकर आने से इस वर्ष अधिक वर्षा की संभावना है, जो कृषि के लिए शुभ संकेत है। हाथी धन और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है, जिससे यह आम जनता के लिए शुभ संकेत है।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
तांत्रिकों और तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले साधकों के लिए नवरात्र का समय विशेष फलदायी होता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा-आराधना कर अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकते हैं। इन दिनों में किया गया दान-पुण्य विशेष फल देता है।
नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें:
नवरात्र के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें।
शराब और अन्य नशे से दूर रहें।
सेहत के अनुसार व्रत रखें और फलाहार का सेवन करें।
प्रतिदिन प्रातः और संध्या के समय मां दुर्गा का पाठ अवश्य करें।
विक्रमी नवसंवत 2082 का प्रारंभ
“सिद्धार्थी” नामक विक्रमी नवसंवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च, रविवार को होगी। इस नए वर्ष के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य होंगे।
श्री दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का निरंतर जाप और हवन के साथ आहुति देने से चमत्कारी सिद्धि प्राप्त हो सकती है।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)
संपर्क सूत्र: 9858293195, 7006711011, 9796293195