अमावस्या तिथि का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध एवं श्राद्ध पक्ष समाप्त – 21 सितम्बर रविवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य

धर्म

अमावस्या तिथि का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध एवं श्राद्ध पक्ष समाप्त – 21 सितम्बर रविवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह समय उन पूर्वजों को स्मरण कर श्रद्धा अर्पित करने का होता है जो इस लोक में अब नहीं हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पितर धरती पर अपने परिजनों से मिलने आते हैं। इस अवधि में उनके नाम से श्राद्ध, तर्पण, दान और पूजा करके उन्हें संतुष्ट किया जाता है ताकि वे अपने लोक में प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करें।

आश्विन माह की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितरों को विदाई देने का विशेष विधान है। इस वर्ष पितृ विसर्जन अमावस्या, अमावस्या तिथि का श्राद्ध, अज्ञात मृत्यु तिथि वाले पितरों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध तथा श्राद्ध पक्ष का समापन 21 सितम्बर, रविवार को होगा।

पितृ विसर्जन अमावस्या का महत्व

श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जिन परिजनों की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध उसी तिथि पर करना चाहिए। यदि किसी पितर की मृत्यु की तिथि स्मरण न हो तो अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जाता है। यही दिन सर्वपितृ श्राद्ध कहलाता है। इस दिन सभी पितरों के लिए पूजा कर उन्हें श्रद्धा से स्मरण किया जाता है ताकि उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहे।

पितृ विसर्जन की विधि

सर्वपितृ अमावस्या के दिन शाम के समय निम्न विधि से पितरों का विसर्जन किया जाता है –

1. दो-दो पूड़ियाँ, चावल, फल, मिठाई, पुष्प, दक्षिणा आदि घर के मुख्य द्वार (चौखट) पर दोनों तरफ रख दें।

2. उन पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसका अर्थ है कि पितर भूखे न लौटें और उन्हें तृप्ति प्राप्त हो। साथ ही दीपक जलाने से उनके मार्ग को प्रकाश मिल सके।

3. अंत में हाथ जोड़कर प्रार्थना करें –
“हे पितरों! आपका पितृ पक्ष समाप्त हो गया है। कृपया परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में पधारें। आपके चरणों में श्रद्धा सहित निवेदन है।”

श्राद्ध का विधि-विधान

श्राद्ध के दिन पितरों के निमित्त पूजा, तर्पण और श्राद्ध करना चाहिए। भोजन के पात्र में सबसे पहले देवता, पितरों, गाय, कौवे, कुत्ते, चींटी आदि का अंश अलग निकालकर अर्पित करें। इसके बाद ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को भोजन कराएँ तथा दक्षिणा देकर पुण्य प्राप्त करें। मान्यता है कि पितरों की तृप्ति से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

आध्यात्मिक संदेश

महंत रोहित शास्त्री ने कहा कि श्राद्ध केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। पितरों के आशीर्वाद से घर में संतुलन, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह दिन जीवन, मृत्यु और परिवार के महत्व को समझने का भी अवसर प्रदान करता है।

सूर्य ग्रहण की जानकारी

रविवार, 21 सितम्बर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इस सूर्य ग्रहण से संबंधित कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सर्वपितृ श्राद्ध आदि किए जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को सूतक, स्नान, दान, जप, तप या ग्रहण से संबंधित किसी प्रकार की सावधानी या विचार करने की आवश्यकता नहीं है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद नहीं होंगे और राशियों पर भी इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
प्रधान, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत), रायपुर ठठर, जम्मू-कश्मीर
संपर्क सूत्र : 9858293195 | 7006711011 | 9796293195
ईमेल : rohitshastri.shastri1@gmail.com

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