विद्यार्थी किसी भी राष्ट्र एवं समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल सेक्टर – 13 के छात्र छात्राये शैक्षणिक,संस्कृति एवं संस्कार हेतु भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर का भ्रमण किया।
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य जिज्ञासा संवाद कार्यक्रम संपन्न।
कुरुक्षेत्रl
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा समाज के जरूरतमंद बच्चों के लिए निःशुल्क संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल सेक्टर – 13 के छात्र छात्राये शैक्षणिक,संस्कृति एवं संस्कार हेतु भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत अपने शिक्षिकाओं के साथ आश्रम की गतिविधियों का अवलोकन किया एवं विद्यार्थियों से मुलाक़ात की। इस उपलक्ष्य में डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य जिज्ञासा संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से सरस्वती वंदना के साथ हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी एवं शिक्षक समूह ने बहुत ही जिज्ञासा पूर्वक मातृभूममि सेवा मिशन आश्रम की गतिविधियों का अवलोकन किया। डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल के विद्यर्थियों का आश्रम परिसर पहुंचने पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने तिलक लगाकर, पुष्पवर्षा के साथ शंख ध्वनि से मंत्रोच्चारण के साथ स्वागत किया।
मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा उचित पथ प्रदर्शन और शिक्षण से माता पिता तथा शिक्षकों को बच्चों के विकास के लिए यह देखना चाहिए कि सामाजिक सन्दर्भ में बालकों के अनुभव यथा सम्भव सुखद हो, और तभी वे सरलता से नैतिकता का पाठ सीख सकेंगे। यदि बालक को कोई कार्य करने के लिए विवश किया जाता है तो वह कुछ भी न सीख सकेगा। अतः स्वाभाविक रूप में ही विद्यार्थी को सब कुछ सिखाने का प्रयत्न करना चाहिए। सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार व्यवहार दिखा पाना बच्चा कई वर्षों में सीख पाता है। यदि विद्यार्थी के ऊपर मनोवैज्ञानिक नियन्त्रण रखा गया और उसके विविध अनुभव सुखद बनाए गये तो विद्यार्थी नैतिक व्यवहार दिखलाने में समर्थ नहीं होता। आवश्यक ज्ञान देने के बाद उदाहरण द्वारा हमे विद्यर्थियो को यह दिखलाना चाहिए कि उस ज्ञान को कार्यान्वित कैसे किया जाए। विद्यार्थी किसी भी राष्ट्र एवं समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा सुख और दुख की अनुभूति के आधार पर विद्यार्थी किसी कार्य के औचित्य और अनौचित्य के विषय में निर्णय करता है। उसके कार्य से किसे लाभ अथवा हानि होती है इसकी उसे चिन्ता नहीं रहती। बिना बुरे परिणाम को जाने विद्यार्थी के लिये यह समझना कठिन हो जाता है कि उसका कोई कार्य बुरा है। वह सोचता है कि उसके व्यवहार का सम्बन्ध केवल उसी से है और जब तक उसे अपने किसी कार्य का अरुचिकर अनुभव नहीं मिलता तब तक उसमें सुधार लाना वह आवश्यक नहीं समझता।एक स्थिति ऐसी आती है कि विद्यार्थी कुछ-कुछ समझने लगता है कि जिसे लोग चाहते हैं वे कार्य अच्छा है और जिसकी लोग निन्दा करते हैं वह कार्य बुरा है। इस समय दूसरों के प्रति किसी कर्त्तव्य की भावना उसमें नहीं रहती। अतः जो मन में आता है वही वह करता है। किसी को प्रसन्न करने की भावना उसमें नहीं रहती। उसके कार्य से यदि दूसरों को किसी प्रकार का दुख पहुंचता है तो उसमें पश्चाताप की भावना नहीं आती। डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों यह विभिन्न वस्तुओ के रूप में उपहार भेंट किया। कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के द्वारा डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती मनीषा लांबा साहित सभी विद्यालय परिवार का मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर पहुंचने पर आभार ज्ञापित किया गया। आश्रम की ओर से सभी शिक्षिकाओं यह अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षिका श्रीमती अमरजीत बेनीवाल, शिक्षिका अंजू शर्मा, शिक्षिका संगीता केसवानी , शिक्षिका सविता बत्रा, शिक्षिका मोना अरोड़ा एवं शिक्षिका कविता कालिया साहित विद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षक एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित् रहे। कार्यक्रम जा समापन राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम से हुआ।