बीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा शौर्य संवाद कार्यक्रम संपन्न
कुरुक्षेत्र।
वीर बाल दिवस सिख धर्म और मानवता के लिए प्रेरणा है।
साहिबजादों की वीरता केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं है, यह सम्पूर्ण मानव समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। वास्तव में धर्म केवल पूजा पद्धति नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।वीर बाल दिवस हमें साहिबजादों की अनोखी वीरता और बलिदान की याद है। यह दिन हमें सिखाता है कि सत्य, धर्म और मुद्रा की रक्षा के लिए किसी भी उम्र में, किसी भी परिस्थिति में अडिग रहना चाहिए। यह विचार बीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित शौर्य संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ वीर साहिबजादों को नमन कर हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने वीर साहिबजादों की याद में जीवन भर सत्य एवं धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों पर वीर साहिबजादों की याद में अनेक संस्मरण प्रस्तुत किये।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने विद्यर्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा साहिबजादों का बलिदान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें अपने जीवन में उनके आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देता है।यह दिन हर भारतीय को यह संकल्प लेने का अवसर देता है कि हम भी अपने धर्म, सत्य और देश की रक्षा के लिए साहिबजादों की तरह संकल्प लें।यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों, जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इन युवा साहिबजादों ने धर्म और मानवता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। इन्हीं के सम्मान और याद में वीर बाल दिवस मनाया जाता है।
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके परिवार की शहादत राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व बलिदान था। उनके दो छोटे साहिबजादों ने निरंकुश शासक के आगे झुकने से इनकार कर दिया और डट कर आततायी का सामना बाबा।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह क्रमशः 7 और 5 वर्ष के थे, जब उन्हें मुगल सेना ने गिरफ्तार किया. 26 दिसंबर को 1705 में इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया था।इस शहादत को नमन करने के लिए वीर बाल दिवस मनाया जाता है। 9 जनवरी 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर यह प्रत्येक वर्ष श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाया जायेगा। वीर बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य युवाओं को यह संदेश देना है कि वे अपने प्रतिबंध, धर्म और सत्य के लिए दृढ़ रहें। में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, अपने सिद्धांतों से सहमत जीवन नहीं चाहिए। आज आवश्यकता कि वर्तमान पीढ़ी को साहिबजादों के बलिदान के बारे में बताया जाय, ताकि वे भी अपने जीवन में साहस और निडरता को अपनाएँ। कार्यक्रम में शिक्षाविद एवं समाजसेवी श्रीचंद शर्मा अतीविशिष्ट अतिथि रहे। उन्होंने बच्चों को वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में उपहार भेंट किये।कार्यक्रम क संचालन मास्टर बाबूराम ने किया। आभार ज्ञापन सुरेंद्र कुमार ने किया। कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यलय के पूर्व सहायक कुलसचिव यशपाल सनन, वेद व्यास शर्मा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।