श्रीमदभगवदगीता गहरे आध्यात्मिक और मानवीय सन्देश का भंडार है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

श्रीमदभगवदगीता गहरे आध्यात्मिक औरअंतराष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के तृतीय दिवस देव गुरुकुल में श्रीमदभगवदगीता में निहित वैदिक सनातन जीवन मूल्यों की विद्यार्थी जीवन में प्रासंगिकता विषय पर आयोजित गीता संवाद एवं व्याख्यान कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र।

श्रीमदभगवदगीता एक महान ग्रंथ है जो मनुष्य को सच्ची मनोशांति, आत्मिक उन्नति, और आदर्श जीवन की ओर प्रेरित करता है। इसमें व्यापक ज्ञान, उपदेश, और संदेश हैं जो हमारे सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं और हमें सच्चे और खुशहाल जीवन के लिए निर्देशित करते हैं। श्रीमदभगवदगीता गहरे आध्यात्मिक और मानवीय सन्देश का भंडार है जो हमारे जीवन को महत्त्वपूर्ण और उद्दीपक बनाता है।

यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य मे मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के तृतीय दिवस देव गुरुकुल में श्रीमदभगवदगीता में निहित वैदिक सनातन जीवन मूल्यों की विद्यार्थी जीवन में प्रासंगिकता विषय पर आयोजित गीता संवाद एवं व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्रम्हचरियों द्वारा वैदिक यज्ञ से हुआ। देव गुरुकुल परिसर में पहुँचने पर डा. डा. श्रीप्रकाश मिश्र का गुरुकुल के ब्रम्हचारियों ने शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से स्वागत एवं अभिनंदन किया। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा संसार की समस्त शुभता गीता में निहित है। गीता का उपदेश जगत कल्याण का सात्विक मार्ग और परा ज्ञान का कुंड है। आज वर्तमान जीवन में मनुष्य को जरूरत है अपने भीतर और बाहर दोनों का संतुलन बनाने की। मनुष्य अपना ये संतुलन रोजमर्रा के काम करते हुए प्राप्त कर सकता है और अपने आप को रूपांतरित कर सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी विवेक चैतन्य ने की। वैदिक विद्वान एवं समाजसेवी रामपाल आर्य अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन आचार्य श्रीकृष्ण देव ने किया। आभार ज्ञापन आचार्य विकास ने किया। गुरुकुल के निदेशक सुमित त्यागी ने सभी अतिथियों को समृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ। कार्यक्रम में गुरुकुल के आचार्य, ब्रम्हचारी एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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