डॉ. रमेश खन्ना, वरिष्ठ पत्रकार
हरिद्वार में एक वक्त थाकि श्रावण मास में कॉवड में गंगाजल ले जाने अधिकांश श्रद्धालु 55 से 60 वर्ष की आयु के हुआ करते थे। उनमें आशुतोष भगवान के प्रति प्रगाढ़श्रद्धा होती थी अपनी अपनी भाषा में यह श्रद्धालु शिव भक्ति के लोकगीत गाते हुए बहुत ही श्रद्धा भाव से कांवड़ लेकर निकला करते थे। तब ना कोई स्पीकर होता था, ना दिल दहलाने वाली आवाज के डी० जे० हुवा करते थे।
समय के साथ कांवड यात्रा की परिभाषा बदल गई अब20 से 35 साल के कांवड वेशधारी अधिकांश अराजकतत्व हरिद्वार मे श्रावण मास में सड़कों पर गुण्डागर्दी, बदस्लूकी और सरेराह चलती युवतियों से अमर्यादित हरकतें कर, शराब, स्मैक, चरस, गाँजा, सुल्फा और अफीम की बड़ी बड़ी चिलमें खुल्लम खुल्ला सड़कों और सार्वजानिक स्थानों पर पीते है उस पर डी० जे० पर फुल बेस पर भजनो के नाम पर बेतुका म्युजिक जिससे घर के शीशे व खिड़कियां भी हिलकर टूट जाये, खुली सडकों पर बजाकर अश्लील नृत्य करते है, कावंड मेले में पुलिस व अर्ध सैनिक बल चाहकर भी खून का छूट पीकर रह जाते है क्योंकि इनका एक ही कहना होता है, कि उत्तराखंड सरकार हमारे पैर धोकर कर हम पर हैलीकाप्टर से पुष्प वर्षा करती है तब तुम कौन हो?
ऐसी परिस्थिती मे पुलिस बल व अर्द्ध सैनिक बलों के लिए दिक्कत होती है।
इनकी कावड से, छू जाने वाले वाहनों को यह लाठी, डंडो से चकनाचूर कर उनकी पिटाई कर अधमरा कर देते हैं। गुण्डागर्दी का यह तांडव श्री महादेव शिव की किस श्रेणी में आता है। हाल ही में कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही इन अराजक तत्वों ने गोडयाँ तोड दी रिक्शा चालकों को मार मार कर अधमरा कर दिया हैं।
कांवड मेले की तैयारियो के लिए उच्चस्तरीय बैठकों में बडी बडी योजना बनाकर लम्बे लम्बे दावे किये जाते हैं करोडो रुपए के बजट पास हुए हैं, हमेशा ही होते आए हैं परंतु इन कांवड वेशधारी अराजक तत्वों की गुंडागर्दी, मनमानी कान फोडू डी० जे० मादक पदार्थों का खुला सेवन सड़क, मैदानो में चला आया है और शुरू हो गया हैं। कांवड़ और गँगाजल ले जाने वाले 10 प्रतिशत ही होते हैं 90 प्रतिशत पिकनिक, मौजमस्ती और धींगा मुश्ती के लिए आकर माँ गँगा की पवित्रता से खिलवाड़ करते हैं।
हाल ही में पुलिस ने सिडकुल संत बाहुल्य क्षेत्र उत्तरी हरिद्वार में होटल में छापेमारी कर बाहर के प्रान्तों से आयी युवतियां व बाहरी प्रान्तों के लोगों को जिश्म फरोशी में गिरफ्तार किया हैं। अब यहीं भी शुरू हो गया हैं ताज्जूब है संचालक भी उत्तराखंड से बाहर के हैं।
हरिद्वार के धर्माचार्यो, संतो, महामण्डलेश्वरों, तीर्थ पुरोहितों, राज्य व केंद्र सरकारों इस तीर्थ की गरिमा पर अति गंभीरता से मनन करो अन्यथा इस गौरवशाली तीर्थ की रही सही मर्यादा भी तहस-नहस हो जाएगी। कांवड़ वेशधारी अराजक तत्वों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की तीव्र आवश्यकता हैं। हरिद्वार के धार्मिक स्वरुप व गँगा की सुचिता व पवित्रता को बचाओ।
डॉ० रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरीद्वार (उत्तराखंड)