देश में एक ऐसा शिव मंदिर जहां एक साथ विराजमान हैं पांच नंदी

उत्तराखंड धर्म राष्ट्रीय

डॉ बृजेश सती

अक्सर यह देखा जाता है कि शिव मंदिरों में शिवलिंग के ठीक सामने भगवान शिव के गण नंदी की मूर्ति स्थापित की जाती है । देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में दो ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर महादेव और काशी विश्वनाथ अपवाद हैं। यहां नंदी शिवलिंग के ठीक सामने न होकर बगल में स्थापित किए गए हैं।


अब बात करते हैं देश के एक ऐसे शिवालय की, जहां एक – दो नहीं बल्कि पांच नंदी विराजमान हैं। यह देश का एकमात्र शिव मंदिर है। जहां यह व्यवस्था है।
यह शिवालय उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ विकासखंड का ज्योतेश्वर महादेव है। ज्योतेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना पांचवी सदी में भागवदपाद आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। ज्योतिर्मठ वह स्थान है , जहां दिग्विजय यात्रा के बाद आदि गुरु शंकराचार्य का आगमन हुआ । यहीं पर उन्होंने कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान(ज्योति) प्राप्त किया। जिसके चलते इस स्थान का नाम ज्योतिर्मठ हुआ और जो शिवलिंग उन्होंने स्थापित किया। वह ज्योतेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है। ज्योतेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता यह भी है कि इसके गर्भ गृह में शिवलिंग के साथ नंदी भी विराजमान है।
ज्योतिर्मठ स्थित ज्योतेश्वर महादेव मंदिर में पांच नदियों की आकृति अलग अलग है। तीन नंदी एक ही आकर के हैं। जिनमें माला, गले में घंटी की आकृति उकेरी गई है। लेकिन दो सामान्य हैं। काले पत्थरों को तराश कर नंदी की आकृति में उकेरा गया है। हालांकि मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित नंदी आकार और रंग अलग है।
आइए जानते हैं, ज्योतेश्वर महादेव मंदिर के पौराणिक महत्व, यहां एक से अधिक नंदी स्थापना के पीछे का कारण और शिव मंदिर में नंदी रहने का की वजह।

# ज्योतिर्मठ के ज्योतेश्वर महादेव

पैनखंडा क्षेत्र में शिव से जुड़े कई महत्वपूर्ण व पौराणिक शिवालय हैं। इन्हीं में एक प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व का ज्योतेश्वर महादेव का मंदिर भी है। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना शिव के अवतार भगवतपाद् आद्यगुरू शंकराचार्य ने की थी। ज्योर्तिमठ में स्थिति होने के कारण इसका नाम ज्योतेश्वर महादेव पड़ा। जहां पर यह शिवालय है। उस स्थान का नाम ज्योतेश्वर है। ज्योतेश्वर का आशय ज्योर्तिमठ से है। यही वह स्थान है, जहां आद्यगुरू शंकराचार्य ने अमर कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर ज्योति (ज्ञान) प्राप्त की थी। इसी स्थान पर उन्होंने अपने आराध्य को पूजा की। इसके समीप ही शंकराचार्य की प्राचीन गुफा है।

मंदिर की बनावट :- मंदिर कल्पवृक्ष (शहतूत प्रजाति) के नीचे स्थित है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में लिंग है। वृक्ष के नीचे ही परिक्रमा पथ है।

पूजा व्यवस्था :- वर्तमान ज्योतेश्वर महादेव मंदिर श्री बदरीनाथ-श्री केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन है। समिति के द्वारा ही यहां पर पूजा की व्यवस्था की जाती है। शिवालय के पुजारी स्थानीय उनियाल जाति के ब्राह्मण हैं।
शिवरात्रि के दिन यहां भव्य मेला लगता है। पूर्व में लोग स्थानीय उपज रामदाना, ओगल-फाफर आदि चढ़ाते थे। आधुनिकता के दौर में यह परंपरा समाप्ति की कगार पर है।

# क्यों रहते हैं शिव के सामने नंदी

जहां भी शिव मंदिर होते हैं। उसके ठीक सामने नदी विराजमान रहते हैं। आखिर शिवालयों में शिव के ठीक सामने नंदी क्यों रहते हैं । इसका कारण जानते हैं।
शिव मंदिर के सामने नंदी की मूर्ति स्थापित करने के पीछे मुख्य वजह यह है कि नंदी भगवान शिव के परम भक्त होने के साथ ही उनके वाहन भी हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया कि जहां वो विराजमान होंगे वहां नंदी भी रहेंगे। इसलिए शिवालयों में नंदी को शिवलिंग के सामने स्थापित किया जाता है । श्रद्धालु पहले नंदी के दर्शन करते हैं, उसके बाद शिव के।
इसके अलावा कुछ और कारण दिए हैं, नंदी को शिव मंदिर में स्थापित किया जाता है। जैसे नंदी भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति का प्रतीक हैं। नंदी को शिव मंदिर का द्वारपाल भी माना जाता है। इसलिए मंदिर के रक्षक के तौर पर।
अक्सर यह देखा जाता है कि लोग जब शिव के दर्शन को जाते हैं तो नंदी के कान में कुछ गुनगुनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि वो अपनी मनोकामना को नंदी के द्वारा भगवान शिव तक पहुंचाते हैं।

# मंदिर के गर्भ गृह में है लिंग के समीप नंदी

भगवत्पाद आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतेश्वर महादेव मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां न केवल पांच नदी शिवलिंग के सम्मुख विराजमान हैं । बल्कि मंदिर के गर्भ गृह में भी एक नंदी है। यह शिव लिंग के समीप ही स्थापित है। शायद यह देश का इकलौता ऐसा शिवालय है, जहां शिवलिंग के समीप ही नदी विराजमान है। शिवलिंग के समीप नदी के होने के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है। इस बारे में जानकारी देने वाला कोई जानकारी भी नहीं है। लेकिन बड़े बुजुर्गों बताते हैं कि उन्होंने मंदिर के अंदर नंदी को ऐसे ही देखा।
आखिर परंपराओं से हटकर शिवलिंग के समीप नंदी के होने के पीछे कारण क्या है। यह अभी पहेली बना हुआ है।

# देश में दो ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं , जहां भगवान शिव के आगे नहीं हैं नंदी

विराजमान नहीं हैं । वैसे अक्सर देश के सभी शिवालय और ज्योतिर्लिंगों में शिवलिंग के सामने नंदी विराजमान हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में नंदी शिवलिंग के सामने विराजमान ना होकर दाईं तरफ हैं। इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में भी नंदी शिवलिंग से अलग स्थापित हैं।

# दो नंदी वाला शिव मंदिर

भारत में एक ऐसा शिव मंदिर है जहाँ एक से अधिक नंदी विराजमान हैं। यह मंदिर गुजरात के नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और इसे “जुड़वा नंदी मंदिर” के नाम से जाना जाता है।
इस मंदिर में, भगवान शिव दो रूपों में एक ही छत के नीचे विराजमान हैं और उनके सामने दो नंदी भी आमने-सामने स्थापित हैं।
धर्माचार्यों का क्या है कहना

ज्योतिर्मठ के प्रभारी दंडी स्वामी मुकुन्दानंद बताते हैं कि ज्योतेश्वर महादेव परिसर में स्थित शिवालय में पांच शिव गण नंदी हैं । वह बताते हैं कि यह आदि गुरु शंकराचार्य जी की तपस्थली है। यहां कल्पवृक्ष के नीचे उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। इस कारण इस नगर का नाम ज्योतिर्मठ पड़ा । उन्होंने अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए यहां जिस लिंग की स्थापना की इसका नाम ज्योतेश्वर महादेव रखा।
पांच शिव गण के बारे में वह कहते हैं कि शंकराचार्य पंचायतन पूजा के प्रवर्तक हैं । हमारा शरीर पांच भौतिक तत्वों से बना है । इसलिए पांच का अध्यात्म में विशेष महत्व है। ज्योतेश्वर अकेला ऐसा शिव मंदिर है , जहां पांच नंदीगण स्थापित हैं ।

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