श्री शनिदेव जयंती 27 मई मंगलवार को मनाई जाएगी: महंत रोहित शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

धर्म

नवग्रहों में श्री शनिदेव सर्वाधिक शक्तिशाली ग्रह माने जाते हैं।

सूर्योदय व्यापिनी ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 27 मई, मंगलवार को होने के कारण शनि जयंती इसी दिन मनाई जाएगी।

नवग्रहों में श्री शनिदेव जी को सर्वाधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। इस वर्ष श्री शनिदेव जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी। इस संदर्भ में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि धर्मग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन श्री शनिदेव जी का जन्म हुआ था।

मान्यता है कि शनिदेव, भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि इस वर्ष 26 मई, सोमवार को दोपहर 12:12 बजे प्रारंभ होकर 27 मई, मंगलवार को प्रातः 08:32 बजे समाप्त होगी। चूंकि 27 मई को अमावस्या सूर्योदय व्यापिनी है, अतः इसी दिन श्री शनिदेव जयंती मनाई जाएगी।

श्री शनिदेव न्यायप्रिय, दंडाधिकारी तथा कलियुग के न्यायाधीश माने जाते हैं। उनका कार्य सृष्टि में संतुलन बनाए रखना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वे कर्म, सेवा, नौकरी तथा व्यवसाय के कारक ग्रह हैं। इनके प्रभाव से मानव जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं।

शनि दोषों से मुक्ति दिलाने वाली जयंती
श्री शनिदेव जयंती के अवसर पर पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने से कुंडली के शनि दोष, ढैय्या तथा साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। वर्तमान में श्री शनिदेव की साढ़ेसाती कुंभ, मीन एवं मेष राशियों पर है—कुंभ पर अंतिम चरण, मीन पर दूसरा चरण तथा मेष पर पहला चरण चल रहा है। वहीं सिंह और धनु राशियों पर शनि की ढैय्या प्रभावी है। इन राशियों के जातकों को विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही, जिनकी कुंडली में शनि की महादशा या अंतरदशा चल रही हो, उन्हें भी विशेष उपाय करने चाहिए।

श्री शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय

शनिवार को काली गाय की सेवा करें।

गरीबों एवं असहायों को काला कंबल, सप्तधान्य, काले वस्त्र आदि का दान करें।

व्रत रखें, शनिदेव के दर्शन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री शनिदेव के ये 10 नामों से पूजन करें: कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाद।

कांसे की कटोरी में तिल का तेल भरें, उसमें मुख देखें और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला, लोहे की कील रखकर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान दें।

श्री हनुमान जी को चमेली के तेल का दीप जलाएं, हनुमान चालीसा का पाठ करें।

शनिदेव का सरसों के तेल एवं काले तिल से अभिषेक करें।

काले घोड़े की नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।

शमी वृक्ष की जड़ अभिमंत्रित कर काले धागे में गले या बाजू में बांधें।

सूर्योदय से पूर्व पीपल की पूजा करें एवं उस पर तेल में लोहे की कील डालकर चढ़ाएं।

रविवार छोड़कर 43 दिन तक शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाएं।

शनिवार को बंदरों और कुत्तों को गुड़ व काले चने खिलाएं, शनिदेव पर तेल के साथ काले तिल अर्पित करें।

शनिवार को काले चमड़े के जूते एवं काले वस्त्र धारण करें।

श्री शनिदेव के चमत्कारी मंत्र
(1) ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
(2) ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
(3) कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।
(4) तंत्रोक्त मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।

इन मंत्रों का 23,000 बार जाप किसी योग्य ब्राह्मण से अथवा स्वयं करें या करवाएं। इससे जीवन के कष्टों से मुक्ति संभव है।

– महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)
संपर्क सूत्र: 9858293195, 7006711011, 9796293195

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