धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिया नाग का दमन किया गया था

धर्म

पंचमी के दिन भूमि नहीं खोदनी चाहिए

हमारे शास्त्रों में तिथियों को अत्यधिक महत्व प्रदान किया गया है। जिस तिथि के जो देवता माने गए हैं, उनकी पूजा उसी दिन करने से वे देवता प्रसन्न होकर उपासक की मनोकामना पूर्ण करते हैं। पंचमी तिथि के अधिष्ठाता नाग देवता हैं। अतः इस दिन नागों की पूजा से भय, रोग एवं कालसर्प दोष का शमन होता है।

श्री कैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 28 जुलाई सोमवार को रात 11:25 बजे से होगी, तथा समापन 29 जुलाई को रात 12:47 बजे होगा। चूंकि सूर्योदय व्यापिनी पंचमी तिथि 29 जुलाई को पड़ रही है, अतः इस वर्ष नाग पंचमी का पर्व मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा।

हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में नाग पंचमी की तिथि को लेकर मतभेद हैं। जैसे – राजस्थान एवं बंगाल में इसे श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी को, उत्तर भारत में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को और जम्मू (डुग्गर प्रदेश) में कुछ लोग भाद्रपद शुक्ल की ऋषि पंचमी के दिन नाग पंचमी मनाते हैं। फिर भी अधिकांश स्थानों पर श्रावण शुक्ल पंचमी को ही यह पर्व मान्य है।

नाग पंचमी हमें यह सिखाती है कि भारतवर्ष में सभी जीव-जंतुओं का सम्मान किया जाता है, क्योंकि प्रकृति का संतुलन सबके सामूहिक अस्तित्व पर निर्भर है। हिंदू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है। अतः हमें नागों की रक्षा करनी चाहिए और उन्हें अकारण कष्ट नहीं देना चाहिए।

यदि घर में नाग देवता की प्रतिमा हो तो उसकी पूजा करें, अन्यथा शुद्ध मिट्टी से नाग बनाकर पूजन करें। यदि पास में नाग बाम्बी (सर्प बिल) हो तो वहाँ श्रीफल, दूध, दक्षणा, मीठा रोट, पुष्प एवं माला अर्पित करें। इस दिन ‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करके सर्प विष का शमन किया जाता है।

इस पर्व पर घर की दीवार को गेरू से शुद्ध कर, उस पर कोयले व घी से बने लेप द्वारा चौकोर आकृति बनाई जाती है, जिसमें सर्पों की आकृति उकेरी जाती है और उनकी पूजा की जाती है। कहीं-कहीं यह आकृति कागज़ या चंदन से भी बनाई जाती है। पूजा के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है एवं ज़रूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, दक्षणा आदि का दान किया जाता है।

पंचमी तिथि पर भूमि खोदना वर्जित माना गया है। यदि किसी की कुंडली में राहु-केतु की प्रतिकूल स्थिति हो, यदि सर्प से भय लगता हो, संतान प्राप्ति की इच्छा हो या कभी सर्प की हत्या हो गई हो अथवा सपनों में सर्प दिखाई देते हों, तो इस दिन नाग पूजन व व्रत अवश्य करें। साथ ही सांपों को सपेरों से मुक्त कराएं, गायों को चारा डालें और ‘ॐ नागेन्द्रहाराय नमः’ मंत्र का जाप करें।

🔱 नाग पूजन हेतु विशेष मंत्र:
“ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नागः प्रचोदयात्।”

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिय नाग का दमन किया गया था। इसके अतिरिक्त ब्रह्माजी द्वारा नागों को वरदान तथा आस्तीक मुनि द्वारा नागों की रक्षा भी इसी तिथि को हुई थी। अतः पंचमी तिथि नागों को समर्पित मानी गई है।

✍🏻 महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
प्रधान, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)
रायपुर (ठठर), जम्मू-कश्मीर
📞 संपर्क: 9858293195, 7006711011, 9796293195
📧 ईमेल: rohitshastri.shastri1@gmail.com

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