अहोई अष्टमी व्रत—13 अक्टूबर (चंद्रोदय व्यापिनी), सोमवार को: महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य

धर्म

संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए : महंत रोहित शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि वर्ष 2025 में अहोई अष्टमी व्रत (चंद्रोदय व्यापिनी) सोमवार, 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

यह व्रत संतान की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, परिवार की सुख-समृद्धि तथा खुशहाली की मंगलकामना हेतु अहोई माता (पार्वती जी) का पूजन करके किया जाता है। कुछ निःसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना से भी यह व्रत करती हैं।

महिलाएं यह व्रत निर्जला उपवास रखकर करती हैं। सायंकाल दीवार पर गेरु व लाल रंग से अहोई माता की आकृति बनाकर उनकी पूजा, व्रत-कथा, आरती की जाती है और मीठे पुए या आटे का हलवा का भोग अर्पित किया जाता है। कुछ माताएं तारों की छांव में तथा कुछ चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं।

पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त:
सोमवार, 13 अक्टूबर को सायं 5:53 बजे से 7:08 बजे तक
इस अवधि में अहोई माता का पूजन कल्याणकारी एवं फलदायक रहेगा।

विशेष सुझाव:
इस दिन पेठा (फल) का दान अवश्य करें।

🔸 अहोई अष्टमी व्रत कथा संक्षेप में:

1. एक साहूकार की बेटी, जो मिट्टी लाने के लिए खुरपा चलाती है, अनजाने में एक साही के बच्चों को मार देती है। इसके कारण उसके जीवन में संतान-सुख बाधित होता है। पश्चाताप व्रत करने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।

2. दूसरी कथा के अनुसार, मथुरा के राधाकुंड में स्नान करने से स्त्रियों को संतान-सुख की प्राप्ति होती है।

संपर्क करें:
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)
गांव रायपुर, ठठर बनतलाब, तहसील जम्मू नार्थ,
जिला जम्मू – 181123
📞 संपर्क: 9858293195, 7006711011, 9796293195
📧 ईमेल: rohitshastri.shastri1@gmail.com

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