मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह-2024 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के चतुर्दश दिवस वर्तमान भारत मे गीता की प्रासंगिकता विषय पर गीता संवाद कार्यक्रम संपन्न
निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज ने मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों को शुभाशीर्वाद प्रदान किया
कुरुक्षेत्र\
श्रीभगवद्गीता वह ग्रंथ है जिसे भारत की राष्ट्रीय पुस्तक के रूप में सबसे अच्छी तरह से वर्णित किया जा सकता है। हजारों वर्षों से लेकर आज तक, गीता भारत की सबसे लोकप्रिय, आम तौर पर पढ़ी जाने वाली, व्यापक रूप से अनुवादित और टिप्पणी की जाने वाली शिक्षा रही है, जो किसी भी प्रतिस्पर्धी ग्रंथ से कहीं आगे है।
श्रीभगवद्गीता से समय समय पर भारत की एकता एवं अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले महापुरुषों ने प्रेरणा प्राप्त की है।आज वर्तमान भारत की आवशयकता है की श्रीमदभगवदगीता भारत राष्ट्र का राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित हो।

यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह-2024 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के चतुर्दश दिवस वर्तमान भारत मे गीता की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित गीता संवाद कार्यक्रम में निरंजनी पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं भारतमाता के चित्र के समक्ष आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज एवं मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन से किया। मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर पहुंचने पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज का शंख धवनि एवं पुष्पवर्षा से स्वागत एवं अभिनंदन किया।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज वर्तमान भारत में गीता की आवश्यकता, भूमिका एवं महत्व को बिस्तर से वर्णन करते इसे कहा गीता भारत की सभी जटिलताओं, विरोधाभासों, रहस्य और सुंदरता को दर्शाती है, शाश्वत और अनंत की इसकी चिरस्थायी खोज को दर्शाती है, साथ ही सभी स्तरों पर जीवन की प्रचुरता को प्रतिबिंबित करने की इसकी क्षमता को भी दर्शाती है। गीता को आचरण में लाकर अपने व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है एवं एक बेहतर मनुष्य बनकर बेहतर जीवन जिया जा सकता है। आज भारत के लोग पश्चिम संस्कृति एवं सभ्यता के चकाचौंध में राष्ट्र एवं समाज के प्रति अपने सामाजिक दायित्व से भटक रहे है। इस विषम परिस्थिति में भारत राष्ट्र की समस्त समस्याओ का समाधान गीता की शिक्षाओ एवं संदेशो में निहित है।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज ने मातृभूमि सेवा मिशन की प्रसंशा करते हुए कहा मातृभूमि सेवा मिशन जिस प्रकार से गीता का प्रचार प्रसार करते हुए सनातन वैदिक धर्म को सम्पोषित कर रहा है, वह अपने आप में अद्वितीय सामाजिक पहल है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा चाहे भारत का स्वतंत्रता संग्राम हो या जब मुगलो से भारत अधीन था, जब जब भी भारत किसी भी वाह्य शक्ति के अधीन हुआ, तब तब गीता के निष्काम कर्मयोग के सिद्धांत ने भारत राष्ट्र का मार्गदर्शन किया।
गीता यह सिखाती है एक व्यक्ति को अपना जीवन कैंसे व्यतीत करना चाहिए, उसका व्यक्तित्व कैंसा होना चाहिए, जीवन में आने वाली मुश्किलों का सामना कैंसे करना चाहिए। गीता सब प्रकार से भारत भारत के लिए सदैव प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज को डा. श्रीप्रकाश। मिश्र ने स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन रामपाल आर्य ने किया। कार्यक्रम में आश्रम के सदस्य, विद्यार्थी सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।
