गोपाष्टमी 30 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य

धर्म

संतान धर्म में कार्तिक माह का अत्यंत महत्व बताया गया है। इसी माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह पावन पर्व गौमाता, भगवान श्रीकृष्ण तथा गोसेवा के महत्व को उजागर करता है। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत), रायपुर ठठर (जम्मू-कश्मीर) के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की सूर्यउदयव्यापिनी अष्टमी तिथि 30 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ रही है। अतः उसी दिन गोपाष्टमी का पर्व श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाएगा।

गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि जब भगवान श्रीकृष्ण बाल्य अवस्था में थे, तब गोपाष्टमी के दिन उन्हें पहली बार गायों को चराने के लिए वन में भेजा गया था। माता यशोदा जी प्रेमवश अपने लाड़ले कन्हैया को कभी भी गौचारण के लिए नहीं जाने देती थीं। किंतु एक दिन जब श्रीकृष्ण ने आग्रह और जिद की, तब यशोदा जी ने ऋषि शांडिल्य से शुभ मुहूर्त निकलवाया और गोपाष्टमी के दिन प्रातःकाल श्रीकृष्ण को गायों के साथ वन में भेजा। इस दिन से ही श्रीकृष्ण के जीवन में गौसेवा और गोपालक रूप का आरंभ हुआ, अतः इसे “गोपाष्टमी” कहा गया। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की गोप स्वरूप में आराधना का प्रतीक माना जाता है।

पूजन विधि और परंपराएँ

महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गोपाष्टमी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि के बाद भगवान श्रीकृष्ण तथा गौमाता का पूजन करना चाहिए। गौमाता और बछड़ों को स्नान कराकर गंध, पुष्प, चंदन, अक्षत आदि से उनका पूजन किया जाता है। उन्हें सुन्दर वस्त्र, आभूषण या माला पहनाई जाती है। यदि आभूषण उपलब्ध न हों, तो उनके सींगों पर रंग या पीले फूलों की माला से सजाना शुभ माना गया है।

पूजन के बाद गायों को हरा चारा, गुड़, रोटी और गोग्रास अर्पित करें। उनके चारों ओर सात या तीन बार परिक्रमा करें और धूप, दीप, आरती से पूजा संपन्न करें।
इस अवसर पर ग्वालों (गोपक समुदाय) का भी आदरपूर्वक पूजन कर उन्हें वस्त्र, अन्न या दक्षिणा दें।

महंत शास्त्री ने कहा कि इस दिन गौशाला में दान देना, गौसेवा करना तथा गौमाता के चरणों की धूल मस्तक पर लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है।

शाम के समय की विशेष परंपरा

गोपाष्टमी के दिन संध्या समय जब गायें और बछड़े चरकर गौशाला में लौटते हैं, उस समय उन्हें नमस्कार करें और श्रद्धापूर्वक उनके चरणों की धूल (चरणरज) अपने मस्तक पर लगाएँ।
ऐसा करने से सभी पाप नष्ट होते हैं, और मनुष्य के जीवन में धन, सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

महंत शास्त्री ने कहा कि गोपाष्टमी का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गौमाता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं — उनके बिना कृषि, आरोग्य और समृद्धि की कल्पना अधूरी है। अतः इस पर्व का उद्देश्य केवल पूजा न होकर गौसंवर्धन और संरक्षण के प्रति जागरूकता भी है।

गोपाष्टमी से प्राप्त होने वाले पुण्यफल

गोपाष्टमी के दिन गौमाता का पूजन करने से —

भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं,

उपासक को धन, वैभव, और सौभाग्य प्राप्त होता है,

घर-परिवार में माँ लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है,

और जीवन में आने वाली अनेक बाधाएँ स्वतः दूर हो जाती हैं।

महंत शास्त्री ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि इस पावन दिन पर गौशालाओं में जाकर गायों को अन्न, चारा और गोग्रास अर्पित करें तथा गौसेवा का संकल्प लें।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
प्रधान, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत), रायपुर ठठर, जम्मू-कश्मीर
📞 संपर्क सूत्र: 9858293195, 7006711011, 9796293195
📧 ईमेल: rohitshastri.shastri1@gmail.com

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