आश्विन शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 30 सितम्बर (मंगलवार) को, नवमी 01 अक्तूबर (बुधवार) को और विजयदशमी (दशहरा) 02 अक्तूबर (गुरुवार) को होगी :- महंत रोहित शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

धर्म

आश्विन शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 30 सितम्बर (मंगलवार) को, नवमी 01 अक्तूबर (बुधवार) को और विजयदशमी (दशहरा) 02 अक्तूबर (गुरुवार) को होगी :- महंत रोहित शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

श्री दुर्गाष्टमी एवं श्री दुर्गा नवमी के दिन कन्या पूजन के समय अपनी राशि अनुसार दान करें, भाग्य होगा उज्ज्वल

: व्रतों और पर्वों की तिथियों को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है कि व्रत किस दिन रखा जाए। इस वर्ष आश्विन नवरात्र 22 सितम्बर (सोमवार) से प्रारंभ हुए थे और कन्या पूजन देवी दुर्गा की ‘साख’ विसर्जन के साथ सम्पन्न होंगे।
श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष, महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि –

अष्टमी : 30 सितम्बर (मंगलवार)

नवमी : 01 अक्तूबर (बुधवार)

विजयदशमी (दशहरा) : 02 अक्तूबर (गुरुवार)

यदि किसी कारणवश भक्तजन अष्टमी या नवमी तिथि को साख प्रवाहित एवं कन्या पूजन नहीं कर पाते हैं, तो वे चतुर्दशी तिथि को भी यह अनुष्ठान कर सकते हैं।

नवरात्र पूर्ण होने पर नौ दिनों में उपयोग की गई सभी सामग्री जैसे – कलश, परात में बोए गए ज्वार के अंकुर (देवी दुर्गा की साख), मिट्टी तथा अन्य पूजन-सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित करना चाहिए। ध्यान रखें कि साख के साथ पॉलीथीन न डालें, इससे जल प्रदूषण होता है।

धर्मग्रंथों में कहा गया है कि तीन से नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात् माता का स्वरूप मानी जाती हैं। कन्या पूजा के बिना नवरात्र का अनुष्ठान अधूरा रहता है। मान्यता के अनुसार कुछ परिवार अष्टमी को तो कुछ नवमी को कन्या पूजन करते हैं। इन कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर पूजन किया जाता है।
इस दिन कन्याओं के पैर धोकर तिलक लगाया जाता है, मौली बांधी जाती है और फिर उन्हें पूड़ी, हलवा, काले चने व खीर का प्रसाद खिलाया जाता है। सामान्यतः नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी भोजन कराया जाता है। इसके बाद उन्हें दक्षिणा, वस्त्र या उपहार देकर आशीर्वाद लिया जाता है।

कन्याओं से इन मंत्रों द्वारा प्रार्थना करें –

मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।

जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरूपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोऽस्तु ते।।

।। कुमार्य्यै नमः, त्रिमूर्त्यै नमः, कल्याण्यै नमः, रोहिण्यै नमः,
कालिकायै नमः, चण्डिकायै नमः, शांभव्यै नमः, दुर्गायै नमः, सुभद्रायै नमः।।

राशि अनुसार दान का महत्व :

आपकी राशि वही होती है, जिसमें जन्म के समय चंद्रमा स्थित होता है।
कन्या पूजन के समय सामर्थ्य अनुसार निम्नलिखित वस्तुएं दान करें :

मेष राशि – लाल वस्त्र/रुमाल/कंगन, राजमाश, गुड़, नारियल, घी, केसर, 21 रुपये।

वृष राशि – चांदी के आभूषण, आटा, चीनी, चावल, दूध, सफेद वस्त्र।

मिथुन राशि – हरे वस्त्र, कांसे का बर्तन, मूंग दाल, घी, हरे फल।

कर्क राशि – चांदी की थाली/गिलास/चम्मच, चावल, मिश्री, दूध, सफेद वस्त्र।

सिंह राशि – स्वर्ण आभूषण, तांबे का बर्तन, गुड़, घी, माता की लाल चुनरी, केसर, 11 रुपये।

कन्या राशि – हरे वस्त्र, चांदी के सिक्के, पुस्तकें।

तुला राशि – सफेद वस्त्र, चावल, आटा।

वृश्चिक राशि – लाल वस्त्र, गुड़, घी।

धनु राशि – पीले वस्त्र, कांस्य पात्र, हल्दी, घी, केले।

मकर राशि – चांदी के सिक्के, लोहे की वस्तु, नीले वस्त्र, तेल/आयनमेंट।

कुंभ राशि – चांदी के कंगन, नीले वस्त्र।

मीन राशि – पीले वस्त्र, सोने के आभूषण, हल्दी।

👉 उपरोक्त वस्तुओं में से सभी वस्तुएं देना आवश्यक नहीं है, आप अपनी सामर्थ्य अनुसार किसी एक का भी दान कर सकते हैं।

कन्या पूजन के उपरांत नवरात्र का अंतिम कार्य ‘व्रत पारण’ अर्थात् व्रत खोलना होता है।

✍️ महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) रायपुर (ठठर), बनतलाब, जम्मू – 181123
📞 संपर्क सूत्र : 9858293195, 7006711011, 9796293195
📧 Email : rohitshastri.shastri1@gmail.com

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