श्रीदुर्गाष्टमी – 30 सितंबर मंगलवार तथा महानवमी – 01 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी, जबकि 02 अक्टूबर गुरुवार को विजयदशमी (दशहरा) पर्व मनाया जाएगा।
इस वर्ष सन् 2025 में आश्विन शरद् नवरात्र 22 सितंबर सोमवार से प्रारंभ हो रहे हैं। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि 22 सितंबर सोमवार को घटस्थापना/कलशस्थापना एवं ज्योति प्रज्वलन करें। देवी दुर्गा की साख लगाने के लिए सूर्योदय के पश्चात् सुबह 06:25 बजे से पूरा दिन शुभ रहेगा। प्रातःकाल ही घटस्थापना/कलशस्थापना और ज्योति प्रज्वलन कर लेना चाहिए।
इस बार शरद् नवरात्र आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का आरंभ सोमवार को हस्त नक्षत्र, शुक्ल योग, किस्तुघ्न करण तथा कन्या राशि के गोचर काल में हो रहा है। श्रीदुर्गाष्टमी 30 सितंबर मंगलवार और महानवमी 01 अक्टूबर बुधवार को है, जबकि 02 अक्टूबर गुरुवार को विजयदशमी (दशहरा) मनाई जाएगी।
आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक यह व्रत किए जाते हैं। इस महापर्व में माँ भगवती के नौ रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
नवरात्र में तिथियों का विवरण –
22 सितंबर 2025 – प्रतिपदा, माँ शैलपुत्री की पूजा
23 सितंबर 2025 – द्वितीया, माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
24 सितंबर 2025 – तृतीया, माँ चंद्रघंटा की पूजा
25 सितंबर 2025 – तृतीया तिथि का विस्तार
26 सितंबर 2025 – चतुर्थी, माँ कूष्मांडा की पूजा
27 सितंबर 2025 – पंचमी, माँ स्कंदमाता की पूजा
28 सितंबर 2025 – षष्ठी, माँ कात्यायनी की पूजा
29 सितंबर 2025 – सप्तमी, माँ कालरात्रि की पूजा
30 सितंबर 2025 – महाअष्टमी, माँ महागौरी की पूजा
1 अक्टूबर 2025 – महानवमी, माँ सिद्धिदात्री की पूजा
2 अक्टूबर 2025 – नवरात्र व्रत पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी (दशहरा)
विशेष जानकारी –
इस बार नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जाएगी, क्योंकि 24 और 25 सितंबर दोनों दिन तृतीया तिथि होने से पर्व सामान्य 9 दिनों के बजाय 10 दिन चलेगा। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि तिथि बढ़ने से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होते हैं।
इन दिनों में भगवती दुर्गा का पूजन एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पंडित से कराना चाहिए।
देवीभागवत में उल्लेख –
‘शशि सूर्या गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता।।’
अर्थ –
रविवार और सोमवार को कलश स्थापना होने पर माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार को कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं, जबकि बुधवार को कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
इस वर्ष शरद् नवरात्र का आरंभ सोमवार, 22 सितंबर को हो रहा है। अतः देवीभागवत पुराण के अनुसार माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएँगी। माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आने से सुख, समृद्धि, वर्षा, अच्छी फसल और हरियाली का वातावरण निर्मित होगा।
पूजा के विशेष नियम –
तांत्रिक साधना में रुचि रखने वालों के लिए यह समय विशेष उपयुक्त है।
गृहस्थ भी इन दिनों में पूजा कर अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत करें।
साधना का फल व्यर्थ नहीं जाता, दान-पुण्य का अत्यधिक महत्व है।
इन दिनों तामसिक वस्तुओं – प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, मदिरा आदि – से दूर रहें।
नाखून, बाल आदि न काटें, भूमि पर शयन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें।
किसी के प्रति द्वेष न रखें।
चमड़े से बने सामान जैसे जूते, बेल्ट, पर्स आदि का उपयोग न करें।
पाप कर्मों से बचें, अन्यथा दुष्परिणाम होते हैं।
सेहत अनुसार व्रत रखें, फलाहार करें, और सुबह-शाम माँ दुर्गा का पाठ अवश्य करें।
गुप्त नवरात्र –
चैत्र और वसंत नवरात्र के अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्र भी होते हैं –
1. माघ माह शुक्ल पक्ष में
2. आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष में
कम लोगों को जानकारी होने के कारण इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। विशेष कामनाओं की सिद्धि हेतु इनका पालन किया जाता है।
—
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष – श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत)
रायपुर, ठठर बनतलाब, जम्मू – 181123
संपर्क : 9858293195 / 7006711011 / 9796293195
ईमेल : rohitshastri.shastri1@gmail.com
