तीर्थ पुरोहितों ने कीअभिनव पहल, बनाया आपदा कोष

उत्तराखंड

उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों की आय का स्थाई साधन नहीं है। चार धाम यात्रा पर ही हजारों तीर्थ पुरोहित और उनके परिवार की आजीविका निर्भर है। यदि इस दौरान कोई प्राकृतिक या दैवीय आपदा की स्थिति हुई तो इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए श्री बद्रीश पंडा पंचायत ने इस दिशा में पहल की है। जिसके तहत एक आपदा कोष तैयार किया जाएगा। जिसे किसी भी विपरीत परिस्थिति में उपयोग किया जा सकता है।

विगत 2 वर्षों में कोराना काल के दौरान इसी तरह की स्थितियां उत्पन्न हुई थी। इससे पहले वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी स्थितियां कुछ इसी तरह हुई थी। चारों धामों के हजारों तीर्थ पुरोहित और उनके परिजनों का आर्थिक आधार चार धाम यात्रा ही है । इसके अलावा कोई अन्य साधन नहीं है। चार धाम यात्रा पर ही निर्भरता होने के चलते भविष्य में किसी तरह की कोई आर्थिक संकट ना खड़ा हो इसके लिए बद्रीश पंडा पंचायत ने अभिनव पहल की है ।

पंचायत के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी का कहना है कि विगत के अनुभवों से सबक लेते हुए हमने निर्णय लिया है कि भविष्य में यदि कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो उसके लिए जरूरी है कि एक कोष हो। जिसे जरूरत पड़ने पर किसी भी तीर्थ रोहित को उपलब्ध कराया जा सकता है । गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित व समितिराके सह सचिव राजेश सेमवाल इस पहल का स्वागत करते हुए कहते हैं कि निश्चित रूप से यह तीर्थ पुरोहित एवं उनके परिवार के हित में होगा। यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल कहते हैं कि सभी धामों में इस तरह की व्यवस्था की जानी चाहिए। चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत प्रवक्ता डा बृजेश सती का कहना है सरकार की ओर से ऐसी पहल की जानी चाहिए थी लेकिन बदरीश पंडा पंचायत ने अपने संसाधनों से यह प्रयास किया ह, जो सराहनीय है।

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