सर्वकार्यार्थ पितृ विसर्जन 25 सितम्बर को होगा, अज्ञात तिथि का होता है श्राद्ध

उत्तराखंड

25 सितंबर 2022 दिन रविवार को सर्वपितृ अमावस्या (पितृ विसर्जन) श्राद्ध पक्ष का समापन होगा।
सर्वपितृ अमावस्या में अज्ञात तिथि श्राद्ध भी किया जाता है (यानी जिन पूर्वजों के देहावसान की तिथि ज्ञात न हो उन सभी का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है)।
गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितृगण वायुरूप में अपने पुत्र– पौत्र के घर के मुख्य द्वार पर भोजन की अभिलाषा में उपस्थित रहते हैं और सूर्यास्त तक शूष्म रुप में वहीं उपस्थित होते है। भोजन (श्राद्ध) न मिलने पर सूर्यास्त के पश्चात निराश होकर दुःखित मन से अपने लोक को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक सात्विक भोजन बनाकर पितरों के निमित्त ब्रह्मभोज अवश्य करना चाहिए।
यदि किसी कारणवश महालय श्राद्ध में तर्पण, ब्रह्मभोज, पिंडदान न करा पाए तो सर्वपितृ अमावस्या को पंचबली भोग(गाय, कुत्ता, कौआ, देव और चीटी) लगाने से भी पितृ तृप्त हो जाते हैं। देव भोज में केवल खीर अर्पित करेंगे।
*कुछ उपाय करने से पितृ अमावस्या पर लाभ प्राप्त कर सकते हैं*।
1–पितृ अमावस्या को तर्पण अवश्य करें इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
2–जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष है अमावस्या पर प्रातकाल पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल से दक्षिण मुखी दीपक जलाए व पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध डालकर एवं तिल डालकर जल अर्पित करें।
3–सात्विक भोजन बनाएं पितरों के नाम से भोजन निकालकर गाय को खिलाएं।
4–किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कच्चा भोजन दान करें।
ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी
8395806256

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