स्पेक्स संस्था 32 बर्षों से जन-जन को शुद्ध जल अभियान चला रही है, देहरादून में 97 पेयजल के नमूनों में 92 नमूने पीने योग्य नहीं हैं

उत्तराखंड देहरादून स्वास्थ्य

देहरादून। स्पैक्स गत 32 वर्षो से माह मई से सितम्बर तक देहरादून में जन-जन को शुद्ध जल अभियान जल प्रहरियों के मदद से चलाती आ रही है। इस अभियान के तहत स्पैक्स व्याख्यान, प्रदर्शन, बच्चों के लिए कार्यशाला तथा देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में जल गुणवत्ता परीक्षण अभियान चला रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा हाल ही में जारी एक चेतावनी के अनुसार, रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) पानी के फिल्टर स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं। आरओ फिल्टर न केवल बैक्टीरिया को मारता है, बल्कि सभी लवण और आवश्यक पोषक तत्व जैसे कैल्शियम और मैग्नीशियम को हटा देता है।

डॉ0 बृज मोहन शर्मा ने प्रेस को बताया कि गत वर्षो की भाँति मई-जून 2022 से देहरादून नगर निगम क्षेत्र के सत्तर वार्डो तथा उसमें सम्मिलित मलिन बस्तीयों में जल के नमूने एकत्रित कर परीक्षण प्रारम्भ किया गया। इस अभियान में जल प्रहरियों का सम्पूर्ण योगदान रहा है।
इस वर्ष 70 वार्डो में 97 स्थानों से पेयजल के नमूने जल प्रहरियों की मदद से लिए गए।
निम्न टप्च् व्यक्तियों के यहाँ से लिए गये पेयजल नमूनों में सबसे अधिक क्लोरीन पाया गया जो स्वास्थ्य के लिए अति घातक है।

50 स्थानों पर क्लोरीन नहीं पाया गया जो निम्न प्रकार है:-
कृष्णनगर, प्रेमनगर, भूड गाँव पंडितवाडी, इन्दिरानगर, बसंत विहार, ईदगाह, तिलक रोड़, मित्रलोक कॉलोनी, विजय पार्क, राजीव कालोनी, कुम्हार मंडी, यमुना कॉलोनी, शिव कालोनी, सैय्यद मौहल्ला, बंगाली लाईब्रेरी रोड़, करनपुर, नई बस्ती, नव विहार कॉलोनी, सिरमौर मार्ग, राजेन्द्र नगर, गढ़ी कैंट रोड़, हाथी बड़कला, कारगी ग्रांट, अशोक विहार, रेस्ट कैम्प, न्यू रोड़, संजय कॉलोनी, जोहड़ी गांव, किशनपुर, भंडारी बाग, कालिन्दी इन्क्लेव, विवेक विहार, निरंजनपुर, ट्रांसपोर्ट नगर, इन्दिरा कॉलोनी, क्लेमनटाऊन, चन्द्रमणी, नया गांव सेवला ख्ुार्द, शिमला बाईपास, बंजारा बस्ती, केवल विहार, कालीदास रोड़, सहस्त्रधारा रोड़।

पानी में कठोरता कई तरह से स्वास्थ्य को प्रभावित करती है जैसे कि-
1. बालों का समय से पहले सफेद होना और त्वचा पर झुर्रियां पड़ना।
2. किडनी स्टोन के मामले बढ़ते हैं।
3. लीवर, किडनी, आंखों, हड्डियों के जोड़ों और पाचन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
4. इस कठोरता के कारण गीजर, पानी की टंकियां और अन्य पानी की पाइपलाइनें चोक हो जाती हैं।
5. गीजर में पानी गर्म करने में अधिक बिजली की खपत होती है, जहां अक्सर कठोर पानी का उपयोग किया जाता है।
6. घरेलू एलपीजी की खपत भी कठोर पानी से खाना पकाने में अधिक होती है।
पीने के पानी में फीकल कॉलीफॉर्म की उपस्थिति का हानिकारक प्रभाव-
1. पेट में कीड़े।
2. पेट के अन्य रोग।
3. कुछ मामलों में दस्त, पीलिया, उल्टी और यहां तक कि हेपेटाइटिस भी।
4. क्लोरीन की उच्च मात्रा निम्न प्रकार से स्वास्थ्य को प्रभावित करती है-
5. बालों का समय से पहले सफेद होना, त्वचा में सूखापन, अल्सर और पेट की अन्य बीमारियां और यहां तक कि कैंसर के मामले भी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *