▪️ संस्कृत भारती की अनूठी पहल
▪️ शास्त्र प्रबोधन वर्ग की शुरुआत
हरिद्वार। संस्कृत भारती उत्तरांचलम् विद्वत परिषद द्वारा शास्त्र प्रबोधन वर्ग की शुरुआत उत्तराखंड में पहली बार की गई है। संस्कृत विषय को लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हजारों छात्रों के लिए यह अच्छी ख़बर है।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर शास्त्र प्रबोधन वर्ग का उद्घाटन जमालपुर के लक्की विहार आनन्द निलयम् में किया गया।
संस्कृत भारती के विद्वत परिषद के अध्यक्ष के तौर पर कुलपति ने कहा कि संस्कृत के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में लक्ष्य कैसे हासिल हो इस उद्देश्य के साथ इस केंद्र को चलाया जा रहा है। सभी शास्त्रों के मर्म से छात्र लाभान्वित हो सकें इसलिए छात्र-छात्राओं के लिए संस्कृत भारती की यह अनूठी पहल बहुत फायदेमंद साबित होगी।
कुलपति ने कहा कि हरिद्वार शहर में ऐसे और भी अनेक प्रयोग भविष्य में किये जायेंगे जिससे अधिक से अधिक छात्र छात्राओं को इसका लाभ मिल सके। पहले से ही स्वाध्याय केंद्र के रूप में चल रहे इस कार्यक्रम को कुलपति ने खूब सराहा ,उन्होंने इसे संस्कृत छात्रों के लिए सौगात बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां विभिन्न शहरों में मोटी फीस देकर करते थे,अब छात्रों को इसके लिए कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है, संस्कृत की सेवा के लिए इस केंद्र को हरिद्वार में ही संचालित किया जा रहा है।
विद्वत परिषद के सदस्य व्याकरण विभाग के सहायक आचार्य डॉ दामोदर परगाईं की देख रेख में संचालित शास्त्र प्रबोधन वर्ग के उद्घाटन दिवस के मौके पर ही 40 से अधिक छात्रों ने कार्यक्रम के लिए निःशुल्क पंजीकरण कराया। शास्त्र प्रबोधन वर्ग के सहयोगी संचालक के रूप में संस्कृत भारती के प्रांतीय विद्वत परिषद के सदस्य डॉ कंचन तिवारी ने कहा कि संस्कृत के ग्रन्थों को पढ़ने के लिए कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण कभी भी करा सकता है। जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि संस्कृत के योग्यतम विद्वानों को इस केंद्र पर गूढ़ विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत के युवा कवि ब्रजेश जोशी ने किया।