हरिद्वार ।श्रीरामलीला कमेटी रजि. ने आज पंचवटी का सुंदर दृश्य प्रस्तुत कर भगवान श्रीराम के वनवासी जीवन की झलक प्रस्तुत की । वन का वातावरण देखकर भगवान राम ने स्वयं सीताजी को गुप्तवास में जाकर उनके साथ केवल साया के रूप में रहने के लिए कहा । प्रकृति का नियम है कि जब भी कोई व्यक्ति नये स्थान को आश्रय बनाता है तो उसका विरोध होता है, परिणाम स्वरूप पंचवटी से ही राक्षसों के वध का दूसरा चरण प्रारंभ हो गया।
बड़ी रामलीला ने समाज की उस सत्यता को दिखाया जो त्रेताकाल से अब तक लगातार चली आ रही है ,तब भी व्यक्ति, व्यक्ति से ही डरता था और आज भी, पुरुष हो या स्त्री एकांत पाकर एक दूसरे के साथ कुछ भी करने का निर्णय ले लेते हैं ।जबकि सार्वजनिकक रूप से व्यक्ति या स्त्री दोनों अपनी-अपनी इज्जत का ख्याल रखते हैं । रावण की बहन शूर्पनखा ने वन में अकेला पाकर राम -लक्ष्मण को अपने प्रति आकर्षित करने के लिए कई रूप धारण किए, लेकिन वह सफल इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि भगवान श्रीराम कोई साधारण मानव न होकर श्रीहरि के अवतारी थे और स्त्रियों के सम्मोहन को भलीभांति जानते थे । रामलीला ने दिखाया कि जब कोई अपने प्रयासों में विफल हो जाता है तब वह कुछ भी कर सकता है ,और किसी भी अनैतिक कदम का परिणाम बिनाशकारी होता है ।
सूर्पनखा के राम लक्ष्मण के प्रति एकतरफा प्यार ने न केवल राम – लक्ष्मण को संकट में डाला वल्कि राक्षस परिवार के विनाश की बुनियाद रख दी ।सूर्पनखा अपनी कटी नाक लेकर अपने भाई खर और दूषण के दरबार में गई तो दोनों आगबबूला हो गए। भगवान राम से युद्ध करने पहुंचे खर और दूषण अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर बैठे।शनिवार को राम- शबरी दर्शन, सुग्रीव मैत्री एवं बाली वध का मंचन होगा । रामलीला के प्रेरणादायी दृश्यों का चयन एवं मंचन करने में जिनके अथक प्रयास सार्थक हो रहे वे हैं श्रीरामलीला कमेटी अध्यक्ष विरेंद्र चड्ढा ,उपाध्यक्ष सुनील भसीन, मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना ,संपत्ति कमेटी के मंत्री रविकांत अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, मंच संचालक विनय सिंघल एवं संदीप कपूर, सहायक दिग्दर्शक साहिल मोदी ,संगीत दिग्दर्शक विनोद नयन,ऋषभ मल्होत्रा, विशाल गोस्वामी ,सुनील वधावन, विकास सेठ ,मयंक मूर्ति भट्ट, रमेश खन्ना, अंकित शर्मा, विपुल शर्मा तथा राहुल शर्मा।