श्रीनगर गढ़वाल। ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि जोशीमठ में आपदा के बाद स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। जोशीमठ को लेकर जितनी भी जांचें सरकार के स्तर पर हुई हैं, किसी की कोई भी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई हैं। जिससे लोग असमंजस में हैं। मुआवजे को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कहा जोशीमठ के बाईपास निर्माण को लेकर पर्यावरणविद् और विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की थी, जिस पर रोक लगा दी गई थी।
लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि देश की रक्षा के लिए हमें इस सड़क को बनाना ही पड़ेगा। गुरुवार को श्रीनगर में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जोशीमठ के लोगों की चिंताओं के समाधान को लेकर सार्थक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। कहा ज्योर्तिमठ नृसिंह मंदिर के दर्शन के बिना बदरीनाथ की यात्रा अधूरी है। जोशीमठ में बाईपास बनने से लोग यहां नहीं आएंगे। जिससे तीर्थ यात्री बदरीनाथ की यात्रा का सुफल प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
बदरीनाथ धाम में महायोजना के प्रभावितों की पीड़ा के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि धाम के कपाट खुलने पर स्वयं उपस्थित था। धाम में पंडा, पुरोहित लोग चाबी लेकर पहुंचे, तो देखा कि उनके घर और दुकानें हैं ही नहीं। कुछ लोगों को मठ में शरण दी गई, जो अभी भी वहीं हैं। कहा महायोजना के प्रभावितों की कोई बात ही नहीं सुनी जा रही है। कहा धाम के रावल का अभिषेक कर्म धारा व प्रह्लाद धारा के जल से होता है। लेकिन धाम में इन दोनों धाराओं के अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया है।
कहा ज्योर्तिमठ नृसिंह मंदिर में दर्शन के बाद ही बदरीनाथ की यात्रा संपूर्ण मानी जाती है। धर्म के अनुसार हर तीर्थ यात्री को जोशीमठ जाना ही होगा। चारधाम की यात्रा पूरी तरह धार्मिक है, इसमें धार्मिकता का पुट रखे रहना होगा। इस यात्रा में मनोरंजन व पर्यटन को शामिल किया जाएगा तो इससे लोग उब जाएंगे। इस मौके पर कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी, भोपाल चौधरी आदि मौजूद रहे।