अखिल भारतीय साहित्य परिषद की बैठक में पदाधिकारियों ने उद्देश्यों को बताया

हरिद्वार उत्तराखंड

हरिद्वार। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2080, बुधवार को नव संवत्सर के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरिद्वार उत्तराखंड के तत्वावधान में प्रेम नगर आश्रम हरिद्वार में कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का प्रारंभ भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा संगठन मंत्र (संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे संजानानां उपासते) का उच्चारण करके किया गया। बैठक में मार्गदर्शक संरक्षक के रूप में उपस्थित माननीय कुंवर रोहिताश चौहान जी तथा प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री (पूर्व उपाध्यक्ष उत्तराखंड संस्कृत अकादमी) एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तराखंड के पूर्व प्रांत अध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा, डॉ रितु ध्वज केंद्रीय दायित्व प्राप्त, जिलाध्यक्ष सचिन प्रधान, जिला उपाध्यक्ष श्रीमती सरिता सिंह, जिला महामंत्री डॉ विजय कुमार त्यागी, सचिव अभिनंदन गुप्ता, रमेश, डॉ सुशील कुमार त्यागी अमित सहित्यकार, दिलीप कुमार, ठाकुर मोहित कुमार आदि ने नव संवत्सर एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। साथ ही संगठन की कार्यशैली परिषद की कार्य योजनाओं का विस्तृत प्रारूप तथा साहित्यिक परिचर्चा भी की गई। संगठन की भावनाओं को धारण करते हुए बैठक का समापन अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरिद्वार के जिला अध्यक्ष सचिन प्रधान के आभार ज्ञापन तथा कल्याण मंत्र के द्वारा किया गया। जहां पर कवि एवं साहित्यकार अभिनंदन गुप्ता ने अपनी कविताओं के माध्यम से नव संवत्सर का स्वागत करते हुए सभी के मन को मोह लिया वहीं पर डॉ सुशील कुमार त्यागी ने कविता के माध्यम से नए साल का स्वागत करते हुए स्वरचित सुभाष शतक के छंदों के माध्यम से क्रांतिकारी देशभक्त सुभाष चंद्र बोस का सुंदर वर्णन करते हुए देश भक्ति को प्रस्तुत किया। बैठक का संचालन करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरिद्वार के महामंत्री डॉ विजय कुमार त्यागी ने स्वरचित काव्य के माध्यम से समय के सदुपयोग की महत्ता को दर्शाया।


डॉ रितु ध्वज देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार ने संगठन के सिद्धांतों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के उद्देश्यों को स्पष्ट किया। डॉ. अनिल शर्मा परिषद के ऐतिहासिक चित्र को प्रस्तुत करते हुए परिषद द्वारा भावी कार्य योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए संकल्पबद्ध होने का संकेत किया। प्रोफेसर प्रेम चंद्र शास्त्री ने अपने जीवन के विशिष्ट अनुभव समाज सेवा के प्रकरणों को प्रस्तुत करते हुए संगठन एवं परिषद के हित कारक संकल्पों को स्पष्ट करते हुए श्रोताओं का मार्गदर्शन करने का सफल प्रयास किया। जिला संघचालक माननीय कुंवर रोहिताश चौहान संगठन के सिद्धांतों के अनुसार समाज में समान भाव से सेवा करने का संदेश देते हुए अपने जीवन के कुछ अनुभवों को साझा किया। कार्यकारिणी के जिला अध्यक्ष तथा गोष्ठी के भी अध्यक्ष के रूप में सचिन प्रधान ने उपस्थित विद्वानों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहने का संकल्प लिया तथा सिद्ध सनातन वैदिक नव संवत्सर 2080 के शुभारंभ काल में परस्पर शुभकामनाएं एवं बधाई प्रेषित की।
कल्याण मंत्र सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ।। के सामूहिक उच्चारण एवं संगठन की भावनाओं सहित विचार गोष्ठी का समापन हुआ।

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