भारत का अध्यात्म और अतीत संपूर्ण विश्व के लिए अनुकरणीय है: स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती

उत्तराखंड धर्म हरिद्वार
हरिद्वार । श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा है कि भारत का अध्यात्म और अतीत संपूर्ण विश्व के लिए अनुकरणीय है और भागवत कथा का श्रवण करने वाले को चारों वेद और पुराणों सहित सभी धर्म शास्त्रों का सार मिल जाता है। वे आज राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर सत्संग हॉल में श्रीमद् भागवत ज्ञान की अमृत वर्षा कर रहे थे।
           भारत के अतीत को आत्मसात करने का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश प्राचीन काल से ही सत्य निष्ठा, कर्म योग एवं उच्च गुणवत्ता वाली न्यायिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान रखता है, लेकिन कलियुग का प्रभाव पड़ने से व्यक्ति स्वार्थी हो रहा है, जिससे दुखों का सामना करना पड़ता है । श्रीमद् भागवत के तीन स्कंधों का सार समझते हुए उन्होंने कहा कि सती के हवन कुंड में दग्ध होने के बाद वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया और शंकर जी को दक्षनगरी में तांडव करना पड़ा । अजामिल कान्यकुब्ज ब्राह्मण था लेकिन कुदृष्य देखकर वह वैश्यागामी हो गया तो संतो ने उसके पुत्र का नाम नारायण रखवाया और उसका उद्धार हो गया। दुष्ट राक्षस के दलन के लिए ऋषि दधीचि ने अपनी देहदान कर दी। राजा पृथु  एवं जड़ भारत जैसे वृतांत सुनाते हुए कहा कि यदि सत्य नहीं बोल सकते तो झूठ मत बोलो । बच्चों को जन्म देना अलग बात है लेकिन मानव बनाना मां-बाप की श्रेष्ठता होती है, और मां द्वारा शिक्षित पुत्र विद्वान होता है। पाप का पैसा आने पर व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और उसका पतन होने लगता है, जबकि मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया धन सुख ,शांति, यश और कीर्ति सभी में वृद्धि करता है। कल (आज) की कथा की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आज चार अवतारों की कथा के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। श्रीमद् भागवत के साथ ही गायत्री महायज्ञ का भी शुभारंभ कर दिया गया है ,पूर्णाहुति 19 तथा 20 जुलाई को होगी तथा 21 जुलाई को श्रीगुरु
पूजा महोत्सव का आयोजन किया जायेगा

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