-डॉ. बृजेश सती /वरिष्ठ पत्रकार
देहरादून
देश की आजादी में समाचार पत्रों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। देश के स्वतंत्र होने के बाद भी समाचार पत्र और पत्रिकाओं की भूमिका अहम रही । खासतौर से आजादी के पहले 25 वर्ष हिंदी पत्रकारिता के लिहाज से महत्वपूर्ण रहे। स्वतंत्र होने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशन में निरंतरता के साथ ही इनका विस्तार हुआ। इससे संयुक्त प्रांत का पर्वतीय क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो उसी दिन देहरादून से युगवाणी नाम से एक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ था।
देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और एक समाचार पत्र युगवाणी भी इस अमृत महोत्सव का गवाह बन रहा है। आज से 75 वर्ष पूर्व इसी दिन इस पत्र ने अपना सफर शुरू किया था। विपरीत परिस्थितियां के बावजूद यह निरंतर प्रकाशित हो रहा है। युगवाणी के प्रथम संपादक गोपेश्वर कोठियाल और भगवती प्रसाद पांथरी थे। वर्तमान में इसके संपादक संजय कोठियाल हैं।
1947 में ही टिहरी से हिमाचल हिंदी साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन भी प्रारंभ हुआ था। इसके संपादक सत्य प्रसाद रतूड़ी थे, लेकिन यह पत्र कुछ समय बाद बंद हो गया था।
छोटे समाचार पत्र और पत्रिकाओ का प्रकाशन किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन प्रबंधन और इससे जुड़े पत्रकारों ने जिस तरह से मुश्किलों का सामना करते हुए पत्र का निरंतर प्रकाशन किया, वह सराहनीय है। उत्तराखंड की पत्रकारिता के लिए भी यह ऐतिहासिक पल है।