सूर्य षष्ठी पर्व (छठ पूजा) का व्रत 30 अक्टूबर रविवार: आइए जानते हैं इस वर्ष छठ पूजा की तिथियां

धर्म

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है। सूर्य षष्ठी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया इस पर्व को कई नामों से जाना जाता है जैसे छठ पूजा, छठ, छठी माई की पूजा, छठ पर्व, डाला पूजा, और सूर्य षष्ठी व्रत आदि। छठ पूजा के दिन माता छठी की पूजा की जाती हैं । जिन्हें सूर्य देव की पत्नी ( ऊषा ) कहा गया है,षष्ठी स्त्रीलिंग होने के नाते से भी “छठी मैया” कहा जाता है,जबकि इस दिन सूर्य देवता की पूजा का महत्व पुराणों में निकलता हैं,इस वर्ष सूर्य षष्ठी 30 अक्टूबर रविवार को है,यह पर्व चार दिन चलता है,इस व्रत में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और अस्त गामी एवं उदित होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और पूजा की जाती है।

इस वर्ष 28 अक्टूबर शुक्रवार को नहाय-खाय से छठ व्रत का आरंभ हो चुका है अगले दिन 29 अक्टूबर शनिवार को खरना किया गया और 30 अक्टूबर रविवार षष्ठी तिथि को मुख्य छठ पूजन किया जाएगा और अगले दिन 31 अक्टूबर सोमवार को छठ पर्व के व्रत का पारणा किया जाएगा।

पूजन विधि :-

यह व्रत बड़े नियम व निष्ठा से किया जाता है। इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को पंचमी को एक बार नमक रहित भोजन करना पड़ता है। षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है। षष्ठी को अस्त होते हुए सूरज को विधिपूर्वक पूजा करके अर्घ्य देते है। सप्तमी के दिन प्रातकाल नदी या तालाब पर जाकर स्नान करना होता है। सूर्य उदय होते ही अर्घ्य देकर जल ग्रहण करके व्रत को खोलना होता है।इस व्रत में प्रसाद मांग कर खाने का विधान है।

स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को एक बार भोजन करना चाहिए तत्पश्चात प्रातः काल व्रत का संकल्प लेते हुए संपूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए। किसी नदी या सरोवर के किनारे जाकर फल, पुष्प, घर के बनाए पकवान, नैवेद्यए धूप और दीप, आदि से भगवान का पूजन करना चाहिए। लाल चंदन और लाल पुष्प भगवान सूर्य की पूजा में विशेष रूप से रखने चाहिए और अंत में ताम्र पात्र में शुद्ध जल लेकर के उस पर रोली, पुष्प, और अक्षत डालकर उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। यह पूजन चार दिन चलता है छठ पूजा 4 दिनों की होती है।

आइए जानते हैं कि इस वर्ष छठ पूजा की तिथियां क्या हैं।

28 अक्टूबर (शुक्रवार) – नहाय खाय ।
29 अक्टूबर (शनिवार)- खरना ।

30 अक्टूबर (रविवार)- छठ पूजा (डूबते सूर्य को अर्घ्य देना)

31 अक्टूबर (सोमवार)- पारण (सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देना) जम्मू कश्मीर सूर्य उदय का समय सुबह 06 बजकर 51 मिनट पर होगा।

नहाय खाय

1- नहाय खाय यह पहला दिन होता हैं,यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता हैं,इस दिन सूर्य उदय के पूर्व पवित्र नदियों का स्नान किया जाता हैं इसके बादI ही भोजन लिया जाता हैं जिसमे कद्दू खाने का महत्व पुराणों में निकलता हैं।

लोहंडा और खरना

2- लोहंडा और खरना यह दूसरा दिन होता हैं जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी कहलाती हैं,इस दिन, दिन भर निराहार रहते हैं,रात्रि में खिरनी खाई जाती हैं और प्रशाद के रूप में सभी को दी जाती हैं. इस दिन ईष्ट मित्र एवम् रिश्तेदारों को न्यौता दिया जाता हैं।

संध्या अर्घ्य

3- संध्या अर्घ्य यह तीसरा दिन होता हैं जिसे कार्तिक शुक्ल की षष्ठी कहते हैं। इस दिन संध्या में सूर्य पूजा कर ढलते सूर्य को जल चढ़ाया जाता हैं जिसके लिए किसी नदी अथवा तालाब के किनारे जाकर टोकरी एवम सुपड़े में देने की सामग्री ली जाती हैं एवम् समूह में भगवान सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाता हैं,इस समय दान का भी महत्व होता हैं, इस दिन घरों में प्रसाद बनाया जाता हैं जिसमे लड्डू का अहम् स्थान होता हैं।

उषा अर्घ्य

4 – उषा अर्घ्य यह अंतिम चौथा दिन होता हैं, यह कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन होता हैं,इस दिन उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता हैं एवम प्रसाद वितरित किया जाता हैं,पूरी विधि स्वच्छता के साथ पूरी की जाती हैं।

इस त्यौहार पर नदी एवम् तालाब के तट पर मेला लगता हैं,इसमें छठ पूजा के गीत गाये जाते हैं,जहाँ प्रसाद वितरित किया जाता हैं।

इसे घर की महिलायें एवम पुरुष दोनों करते हैं । पूरी सात्विकता के साथ।

-महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत) रायपुर ठठर जम्मू कश्मीर। संपर्कसूत्र 9858293195,7006711011,9796293195.ईमेल :rohitshastri.shastri1@gmail.com

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