मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के षष्ठम् दिवस श्रीमदभगवदगीता का दार्शनिक दृष्टिकोण विषय पर आयोजित गीता संवाद कार्यक्रम संपन्न।
11 दिसम्बर 2023, कुरुक्षेत्र
श्रीमदभगवदगीता परमपिता परब्रह्म पद्मनाभ परमेश्वर योगेश्वर श्री कृष्ण के श्री मुख से निःसृत वह अमरवाणी है, जिसमें सत्य, सनातन, शाश्वत-धर्म का अमृत संदेश सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए दिया गया है। यह परमात्मा श्री कृष्ण की असीम अनुकम्पा का फल है, जो ब्रह्म ज्ञान के उत्कृष्ट ग्रन्थ रत्न के रूप में गीता श्रीमदभगवदगीता उपलब्ध है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के षष्ठम् दिवस श्रीमदभगवदगीता का दार्शनिक दृष्टिकोण विषय पर आयोजित गीता संवाद कार्यक्रम में तिनसुकिया, असम के महायोगी श्री श्री 1008 बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज ने बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किये।बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज के मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर पहुंचने पर वैदिक ब्रम्हचारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भव्य एवं दिव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज एवं मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन से किया।
बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज की कहा श्रीमदभगवदगीता एक दार्शनिक ग्रंथ है। विश्व के अनेक विद्वानों ने श्रीमदभगवद गीता का भाष्य किया है।भगवद्गीता इस संसार में ईश्वरवाद संबंधी विज्ञान का सबसे पुराना एवं सबसे व्यापक रूप से पढ़ा जाने वाला ग्रंथ है। गीतोपनिषद के नाम से प्रख्यात भगवद्गीता पिछले 5000 वर्षों से भी पूर्व से योग के विषय पर सबसे मुख्य ग्रंथ रहा है। वर्तमान समय के अनेक सांसारिक साहित्यों के विपरीत, भगवद्गीता में किसी भी तरह की कोई भी मानसिक परिकल्पना नहीं है और यह आत्मा, भक्ति-योग की प्रक्रिया और परम-सत्य श्री कृष्ण के स्वभाव एवं पहचान के ज्ञान से परिपूर्ण है। इस रूप में भगवद्गीता दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो प्रज्ञता और प्रबोधन में सभी अन्य ग्रंथों से ऊँचा है।बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज ने कहा मातृभूमि सेवा मिशन एक आध्यत्मिक संगठन है, जो नर सेवा को नारायण सेवा मानकर लोकमंगल के कार्य में समर्पित है। यही श्रीमदभगवद् गीता का दार्शनिक दृष्टिकोण है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भगवद्गीता निःसंदेह पूरे विश्व में सबसे महान आध्यात्मिक ग्रंथों में से एक माना जाता है। कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में कही गई भगवद्गीता श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच ऐसी वार्ता है, जो मानवता के लिए आवश्यक अत्यंत मूलभूत तत्वों को उजागर करती है। युद्धभूमि में अपने चचेरे भाइयों को अपने सामने खड़ा देख अर्जुन भ्रमित हो जाते हैं और उनके प्रिय मित्र एवं मार्गदर्शक श्रीकृष्ण आध्यात्मिक एवं भौतिक तत्वों की विवेचना करके उनका भ्रम दूर करते हैं।गीता एक ऐसा जीवन दर्शन है, जिससे अनन्त काल से भटकते जिज्ञासु मानव की उन्नत एवं उदार आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ परम विश्रान्ति का भान होता है। यह सर्व सुलभ वह ईश्वरीय ज्ञान है, जो सत्कर्म तथा सद्धर्म से पलायन करते मनुष्य को धर्म संदेश द्वारा सर्वत्र विजय का वरदान देता है। गीता संवाद कार्यक्रम मे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर डा. सुरेंद्र मोहन गुप्ता एवं एस. डी. कॉलेज पानीपत की इतिहास विभाग की प्रोफ़ेसर डा. संगीता ने गीता संवाद कार्यक्रम में बतौर अति विशिष्ट अतिथि उद्बोधन दिया। मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन बीएसएनएल के पूर्व एस. डी. ओ. धर्मपाल सैनी ने किया। आभार ज्ञापन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक कुलसचिव यशपाल सनन ने किया। बाबा कालीदास कृष्णानन्द परमहंस जी महाराज ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में कैप्टन वीरेंद्र गोलन, सोनीपत से शशांक त्रिपाठी, पंच रवि कुमार, थानेसर नगर परिषद के पूर्व उपप्रधान राज गौड़, शशांक पाठक सहित अनेक गणमान्य जन एवं गीताप्रेमी उपस्थित रहे।