श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत निर्णय
: भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्रीकृष्ण जी का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन बहुत बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते। बहुत वर्षो बाद इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ मिल रहे हैं। बुधवार 06 सितम्बर को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट के बाद अष्टमी तिथि शुरू होगी, जो 07 सितम्बर गुरूवार को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी,रोहिणी नक्षत्र 06 सितम्बर सुबह 09 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 07 सितंबर सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा। बुधवार 06 सितंबर को मध्यरात्रि भाद्रपद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनो प्राप्त हो रहे हैं और सूर्य सिंह में और चंद्रमा वृष राशि में रहेगा। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र, भाद्रपद अष्टमी तिथि,वृष राशि में चंद्रोदय कालीन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव, पूजन व्रत का महात्म्य होगा बुधवार 06 सितंबर को ही होगा।
स्मार्त संप्रदाय (सामान्य गृहस्थी) के अनुसार इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 06 सितम्बर बुधवार को मनाई जाएगी तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोगो मे 07 सितम्बर गुरूवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा।
नोट – जिन लोगों ने स्मार्त संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली है वे लोग 06 सितंबर को व्रत रखें।
जिन लोगों ने वैष्णव संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली है वे लोग 07 सितंबर को व्रत रखें।
वैष्णव : जिन लोगों ने वैष्णव संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली हो और गुरु से कंठी या तुलसी माला गले में ग्रहण करता है या मस्तक एवं गले पर चंदन या गोपी चन्दन, श्री खण्ड, त्रिपुण्ड्र, उर्द्धपुण्ड या विष्णुचरण आदि के चिन्ह् धारण किए हो ऐसे भक्तजन ही वैष्णव कहे जाते हैं।गृहस्थ संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और वैष्णव संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं।
जन्माष्टमी के दिन पूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को भी स्थापित किया जाता है, इस दिन उनके बाल रूप के चित्र को स्थापित करने की मान्यता है,पूजा में श्रीगणेश जी,देवकी,वासुदेव,बलदेव,नंद,यशोदा,लक्ष्मी माता का नाम लेना ना भूलें। जन्माष्टमी के दिन बालगोपाल को झूला झुलाया जाता है और बहुत से मंदिरों में रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर कान्हा की मनमोहक झांकियां देखने के लिए लोग देश विदेश से मथुरा आते है।
जन्माष्टमी के दिन सभी मंदिर रात बारह बजे तक खुले होते हैं,बारह बजे के बाद कृष्ण जन्म होता है और इसी के साथ सब भक्त चरणामृत लेकर अपना व्रत खोलते हैं। जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन व्रत रखने का काफी महत्व है।
*महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195*