व्यास पूर्णिमा पर्व 21 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो कि गुरु पूर्णिमा पर्व को और भी विशेष बनाता है

धर्म

गुरु (व्यास) पूर्णिमा पर्व 2024
20 जुलाई 2024 दिन शनिवार को पूर्णिमा उपवास तथा 21 जुलाई 2024 दिन रविवार को गुरु पूर्णिमा पर्व स्नान दान किया जाएगा।*
व्यास पूर्णिमा पर्व 21 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो कि गुरु पूर्णिमा पर्व को और भी विशेष बनता है।
*गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः।*
*गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः*।।
गुरु पूर्णिमा को आषाढ पूर्णिमा भी कहा जाता है। पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे। शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। *महर्षि वेद व्यास का नाम वेद व्यास क्यों पड़ा इसके पीछे धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है माना जाता है कि महर्षि व्यास ने ही वेदों को अलग-अलग खण्डों में विभाजित कर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। जिसके कारण उन्हें वेद व्यास कहा जाने लगा*।
भारत भूमि देवताओं की भूमि है हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। गुरु द्वारा हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित किया जाता है। गुरू द्वारा हमें जीवन के मूलभूत सिद्धातों से परिचित कराया जाता है। गुरु की महत्ता को समझते हुए गुरु के सम्मान में प्रति वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है।
*गुरु पूर्णिमा पर शुभ योग*
इस साल गुरु पूर्णिमा पर शश नामक पंच महापुरुष योग, इंद्र योग बुधादित्य योग, बुध के मिथुन में गोचर करने के कारण भद्र योग बन रहे हैं
*मुहुर्त*
गुरू पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 20 जुलाई 2024 सायं काल 6:01 से 21 जुलाई 2024 अपराह्न 3:48 तक रहेगी।
*पूजा विधि*
पूर्णिमा के पर्व पर सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में जागकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर में मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें। व्रत का संकल्प लें, मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु और भोलेनाथ को स्नानादि कराकर आसन प्रदान करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। अपने गुरु का ध्यान करें। अगर संभव हो तो गुरु के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
और गुरु जी को श्रद्धा पूर्वक अन्न, वस्त्र, मिष्ठान, फूल माला, दक्षिणा सामर्थ्य के अनुसार भेंट करे। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से गुरु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सर्वप्रथम गुरु हमारी मां होती है मां का सम्मान करें मां को भी भेंट इत्यादि देकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
गुरु पूर्णिमा के पर्व पर सफेद वस्तुओं का दान अवश्य करें। खीर को प्रसाद रूप में वितरित करने से विशेष लाभ प्राप्त होंगे।


*डॉ मंजू जोशी ज्योतिषाचार्य*
*8395806256*

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