योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति में सामंजस्य का भाव हैः डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राष्ट्रीय स्वास्थ्य

मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं आजादी के अमृतोत्सव के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में त्रिदिवसीय योग संवाद कार्यक्रम संपन्न

कुरुक्षेत्र। भारतीय सनातन वैदिक धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्यात्मिक उन्नति, शारीरिक ,मानसिक एवं सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्रायः विश्व के समस्त दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक परंपराओ, सम्प्रदायों एवं मान्यताओ ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतीय आजादी के अमृतोत्सव एवं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय योग संवाद कार्यक्रम में मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर आयोजित कार्यक्रम के समापन दिवस मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं डॉ. हेडगेवार के चित्र पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पुष्पार्चन, दीपप्रज्जवलन एवं शंख ध्वनि से हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा भावपूर्ण श्रद्धांजलि आर्पित की गई। डॉ. मिश्र ने कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार भारतीय संस्कृति के परम उपासक थे। वह कर्मठ, सत्यनिष्ठ और राष्ट्रवादी होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रचेता भी थे। उन्होंने हिंदुओं में नई चेतना जाग्रत करने का उल्लेखनीय कार्य करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। डॉ. हेडगेवार आधुनिक भारत के शिल्पकार थे।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा प्राचीन काल से ही योग का अभ्यास मन को शरीर से जोड़ने वाले सबसे आसान और प्रभावी तरीकों में से एक माना जाता रहा है। यह संपूर्ण उपचार की एक प्राचीन परंपरा है जो हर आयु वर्ग के लोगों को अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने में मदद करती है। ऐसे कई योगासन हैं जो अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों के लिए उपयुक्त हैं। इसके साथ ही योग में व्यत्तिफ़ की सेहत और उम्र के आधार पर भी आसनों में बदलाव करके शरीर और मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसलिए योग को हमारे जीवन का एक जरूरी अंग बनाना चाहिए, क्योंकि यह न केवल हमें अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है बल्कि इसे बनाए रखने में भी मदद करता है।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति में सामंजस्य का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरुकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। दुनिया के लोगों के लिए योग आज केवल जीवन का एक हिस्सा नहीं बल्कि जीवन जीने का एक माध्यम बन रहा है। तनावपूर्ण माहौल में थोड़े समय के लिए किया गया ध्यान हमें न केवल तनाव मुक्त करता है बल्कि हमारी उत्पादकता को भी बढ़ाता है। योग केवल एक अतिरिक्त काम नहीं बल्कि जीवन का अभिन्न अंग है।

योग संवाद कार्यक्रम में समाजसेवी एस.पी. त्रिपाठी, व्यवसायी संजय बंसल एवं प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डॉ. प्रदीप कौशिक अंबाला बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे और योग विषय पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में शिक्षक बाबू राम, गुरप्रीत सिंह सहित मिशन के सदस्य एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। इस अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने योग को अपने जीवन में आत्मसात कर प्रचार प्रसार करने का संकल्प लिया।

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