श्रीमदभगवदगीता शोक और करुणा से निवृत होने का सम्यक मार्ग है : डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राष्ट्रीय

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा ज्योतिसर में वार्षिक दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 208वें यज्ञ का आयोजन

कुरुक्षेत्र, : श्रीमदभगवाद्गीता एक ऐसी ज्ञानगंगा है, जिसकी विचारधारा में समस्त आध्यात्मिक सत्य और उसकी सहज अनुभूतियों की लहरे हमारे जीवन मे स्पष्टत: परिलक्षित होती है। गीता में दिव्यकर्म, दिव्यज्ञान, दिव्यभक्ति की त्रिवेणी एक साथ विद्यमान है। गीता मनुष्य को परहितव्रती बनाती है। गीता परहितव्रत किसी सीमा से आबद्ध नहीं है, यह तो जाति, धर्म, वर्ण या वर्ग विशेष से परे प्राणिमात्र तक पहुंचाता है। आसक्ति और वासना के साधारण दोषों से प्रारम्भ कर गीता यह बतलाने का प्रयास करती है कि नित्य नैमित्तिक कर्तव्यों का पालन करता हुआ व्यक्ति किस प्रकार शान्त तुष्ट, स्थितप्रज्ञ एवं योगस्थ रहकर अपने व्यक्तित्व को उन्नत कर सकता है।

यह विचार गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित वार्षिक दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 208वें यज्ञ पर आयोजित कार्यक्रम में डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र, इंडियन चैंबर्स आफ फार्मर्स अशोक शर्मा, इंग्लैंड के शिक्षाविद प्रशांत त्रिपाठी, समाजसेवी एवं शिक्षाविद रामहेत जी ग्वालियर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन से किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर एवं कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से श्रीमदभगवदगीता केद्वितीय अध्याय की आहुति सस्वर मंत्रोचारण से की।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा मनुष्य केलिए आज का वर्तमान जीवन जितना सुविधाओं से परिपूर्ण है, उतना ही बैचेनी, दु:ख और संताप से भरा हुआ हैं। पश्चिमी देशों ने मनुष्य के विकास का जो वातावरण खड़ा किया है, उसने मनुष्य के मन को न समझकर सिर्फ बाहरी पहलू को ही देखा और जिससे मनुष्य का कहीं संतुलन खोया और वह अधूरा अधूरा सा हो गया है। आज का मनुष्य जो सुखी जीवन की बड़ी चाहत लिए खड़ा है, उसका मार्ग उसके कर्म में ही निहित है और उसे अपने कर्म के रहस्य को समझना होगा जो कि गीता के कर्मयोग के माध्यम से ही सम्भव है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंडियन चैंबर्स ऑफ फार्मर्स के सचिव अशोक शर्मा ने कहा गीता जन्मस्थली ज्योतिसर विश्व का सर्वश्रेष्ठ दर्शनिक धरा है।

यहां से समस्त मानव समाज को दिया गया मानवता का संदेश निश्चित रूप से समस्त विश्व के लिए प्रसंगिक है। मातृभूमि सेवा मिशन वास्तव में गीताजन्मस्थली से समस्त संसार को मानवता की सेवा का संदेश दे रहा है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रामहेत जी ने कहा गीता का ज्ञान प्रत्येक मानव के लिए औषधि के समान है। कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि प्रशांत त्रिपाठी ने कहा आज सम्पूर्ण संसार में गीता भारत का गौरव है। वार्षिक दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के संयोजक आचार्य नरेश कौशिक ने आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मिशन के वरिष्ठ सदस्य डा. ताराचंद शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया। आजादी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में सभी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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