पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा पर्यावरण संवाद कार्यक्रम संपन्न
कुरुक्षेत्र/प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं है, लेकिन इसी प्रकृति को मानव हानि पहुंचा रहा है। लगातार पर्यावरण दूषित हो रहा है, जो जनजीवन को प्रभावित करने के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन रहा है।प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह विचार विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित पर्यावरण संवाद में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के ब्राम्हचारियों द्वारा आश्रम परिसर में वृक्षारोपण से हुआ। ब्रम्हचारियों ने जीवनभर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा साल 1973 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण का बिगड़ता संतुलन और बढ़ते प्रदूषण से जूझ रही दुनिया को समस्या से उबारने के लिए और पर्यावरण को हरा भरा बनाने के लिए, साथ ही विश्व पर्यावरण सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए विश्व पर्यावरण मनाया मनाने की शुरुआत की थी, जिसके बाद हर साल नई और अलग थीम के साथ 5 जून का दिन विश्व पर्यावरण मनाया के रूप में मनाया जाता है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा
हमारे जीवन का सबसे महावपूर्ण सहारा पर्यावरण है। इसे बचाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे। उद्योगों से निकलनेवाले दूषित पदार्थ का सही तरह से निस्तारण करना होगा। पर्यावरण की साफ-सफाई पर ध्यान देना पड़ेगा। प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा। प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना होगा। पर्यावरण दिवस पर लोगो को जागरूक करना होगा। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, पर्यावरण के द्वारा ही पृथ्वी पर जीवन संभव है यदि आज हम जीवित है तो उसमे बहुत बड़ा हाथ पर्यावरण का है। पर्यावरण के कारण ही हमारी अन्न पानी, हवा आदि मुलभूत आवश्यकताएँ पूरी होती है। एक अच्छा और स्वच्छ पर्यावरण हमें बेहतर जीवन जीने में मदद करता हैं। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज विश्व में हमारे पर्यावरण की स्थिति प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन प्रति दिन गिरती जा रही है। बेहतर भविष्य के लिए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूल विकास को बढ़ावा देना चाहिए। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के ब्रम्हचारी, सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।