रक्षा बंधन त्यौहार इस वर्ष असमंजस की स्थिति बना रहा है। वास्तव में रक्षा बंधन का त्यौहार अपरान्हव्यापिनी श्रावणी पूर्णिमा में मनाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक तिथि में दो करण होते हैं। पूर्णिमा तिथि का पूर्वार्द्ध भद्रा करण के अन्तर्गत आता है।
इस वर्ष श्रावणी पूर्णिमा 11 अगस्त 2022 दिन गुरूवार को सुबह 10:39 बजे से प्रारम्भ हो रही है, इसके पूर्वार्द्ध में विष्टि (भद्रा) करण रात्रि 08:53 तक रहेगा. प्रदोष काल गुरूवार को शाम 06:37 से रात्रि 08:51 तक रहेगा, और भद्रा इसके दो मिनट बाद रात्रि 08:53 तक रहेगी।
…..रक्षा बंधन त्यौहार भद्रारहित अपरान्ह व्यापिनी पूर्णिमा में मनाए जाने का विधान धर्मशास्त्रों में दिया गया है। यदि पूर्व दिन में अपरान्हव्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा हो तो ऐसे में दूसरे दिन त्रिमुहूर्तव्यापिनी पूर्णिमा में रक्षा बंधन मनाने का निर्देश है. कालमाधव के अनुसार यदि पूर्णिमा दूसरे दिन त्रिमुहूर्तव्यापिनी न हो तो पूर्व दिन में प्रदोषकाल के उत्तरार्ध में मनाना चाहिए.
‘यदा तूत्तरत्र मुहूर्तत्रय ( पुरूषार्थ चिन्तामणि-द्वय) मध्ये किंचित् न्यूना पौर्णमासी तदापरान्हे सर्वथा तद्भावात्. प्रदोष पश्चिमौ यामौ दिनवत् कर्म चाचरेत्’. अब यहाँ पर गुरूवार को भद्रा प्रदोषकाल के दो मिनट बाद तक है।
….. एक विशेष बात यह है कि ‘कालमाधव’ एवं अन्य कई आचार्यों के अनुसार त्रिमुहूर्त को साकल्यप्रयोजक माना गया है, वहीं ‘पुरूषार्थ चिन्तामणि’ व कई आचार्यों ने द्विमुहूर्त को ही साकल्यप्रयोजक माना है।
…..अब इस वर्ष स्थिति यह है कि श्रावणी पूर्णिमा में 11 अगस्त गुरूवार को भद्रा व्याप्त रहेगी, यह भद्रा रात्रि 08:53 तक रहेगी, और इसके पूर्व ही प्रदोषकाल समाप्त हो जाएगा।
….. अब दूसरी ओर ‘पुरूषार्थ चिन्तामणि’ के अनुसार यदि द्विमुहूर्तव्यापिनी साकल्य प्रयोजक मान लें तो 12 अगस्त शुक्रवार को सूर्योदय के पश्चात् 93 मिनट तक पूर्णिमा व्याप्त रहेगी।
स्थूलमान से एक मुहूर्त दो घटी अर्थात् 48 मिनट का माना गया है, किन्तु 12 अगस्त शुक्रवार को सूक्ष्म गणना करने पर एक मुहूर्त 52 मिनट 26 सेकेण्ड का हो रहा है, दो मुहूर्त शुक्रवार को एक घंटा 44 मिनट 52 सेकेण्ड के होंगे। पूर्णिमा तिथि सूर्योदय के पश्चात् एक घंटा 33 मिनट रहेगी।
…..ऐसी स्थिति में उत्तम तो यह रहेगा कि 12 अगस्त शुक्रवार को सुबह 07ः06 के पूर्व यह त्यौहार मनाया जाए.
…..जो लोग सुबह उठने में असमर्थ हैं वे 11 अगस्त गुरूवार को रात्रि 08:53 के बाद मना सकते हैं।
….. वैसे एक बात कहना चाहता हूँ कि, रक्षाबंधन वर्ष में एक बार का त्यौहार है, यदि रात्रि को 08:53 के बाद रक्षासूत्र बँधवाएंगे तो आधा पौना घंटा तो लगेगा ही, रात को साढ़े नौ के बाद बहनों के साथ घूमने फिरने जाने का वो आनन्द नहीं आएगा जो दोपहर से शाम तक होता है। इसलिए शुक्रवार को सुबह सुबह स्नान-पूजनादि करके तरोताजा रहते हुए 07:06 के पूर्व रक्षा-सूत्र बँधवाइए और दिन भर खूब घूमिए फिरिए, आनन्द करिए, जीवन में आनन्द ही सर्वोपरि है।
– पण्डित विजय त्रिपाठी
(संपादक – ठाकुर प्रसाद पंचांग + चिंताहरण जंत्री)