युगप्रवर्तक कर्मयोगी महाराजा अग्रसेन त्याग, करुणा, अहिंसा, शांति और समृद्धि के संपोषक थे: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने शरदीय नवरात्रि एवं महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम संपन्न
कुरुक्षेत्र। समाजवाद के अग्रदूत, कर्मयोगी, गरीबों का उत्थान और सामाजिक समरसता का संदेश देने वाले महाराजा अग्रसेन द्वारा दिए गए सद्भाव के संदेश व विचार, आज भी संपूर्ण विश्व के लिए अनुकरणीय एवं प्रासंगिक हैं। महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का सच्चा प्रणेता कहा जाता है। दुनिया में आज जिस समाजवाद की बात की जाती है उसको पांच हजार वर्ष पूर्व महाराजा अग्रसेन ने सार्थक कर दिखाया था। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने शरदीय नवरात्रि एवं महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा महाराजा अग्रसेन को नमन करते हुए वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ एवं प्रथम दिवस पर जगतजननी माँ पीताम्बरा का पूजन एवं अराधना की गई।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महाराजा अग्रसेन की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं है, उनका लोकहितकारी चिन्तन कालजयी है और वे युग-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे क्योंकि उन्होंने न केवल जनजीवन को बल्कि सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध और शक्तिशाली बनाया। युगप्रवर्तक कर्मयोगी महाराजा अग्रसेन त्याग, करुणा, अहिंसा, शांति और समृद्धि के संपोषक थे। उनकी दृष्टि में सर्वोपरि हित सत्ता का न होकर समाज एवं मानवता का रहा। वे समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी थे। महाराजा अग्रसेन उन महान विभूतियों में से थे जो सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखायः कृत्यों द्वारा युगों-युगों तक अमर रहेंगे। महाराजा अग्रसेन समाजवाद के प्रणेता, गणतंत्र के संस्थापक, अहिंसा के पुजारी व शांति के दूत थे। सचमुच उनका युग रामराज्य की एक साकार संरचना था जिसमें उन्होंने अपने आदर्श जीवन कर्म से, सकल मानव समाज को महानता का जीवन-पथ दर्शाया।
डॉ. मिश्र ने कहा कि महाराजा अग्रसेन ने तंत्रीय शासन प्रणाली के प्रतिकार में एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया था कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले हर व्यक्ति की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक निवासी उसे एक रुपया नगद व एक ईंट देगा, जिससे आसानी से उसके लिए निवास स्थान व व्यापार करने के लिये धन का प्रबन्ध हो जाए। उन्होंने पुनः वैदिक सनातन आर्य संस्कृति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य के पुनर्गठन में कृषि-व्यापार, उद्योग, गौपालन के विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया। वे कर्मयोगी लोकनायक तो थे ही, संतुलित एवं आदर्श समाजवादी व्यवस्था के निर्माता भी थे। उस युग में न लोग बुरे थे, न विचार बुरे थे और न कर्म बुरे थे। राजा और प्रजा के बीच विश्वास जुड़ा था। वे एक प्रकाश स्तंभ थे, अपने समय के सूर्य थे।
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य आयोजित कार्यक्रम में महाराजा अग्रसेन के जीवनदर्शन से संबंधित प्रेरक प्रसंग सुनाए। कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के अनेक सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र से हुआ।

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