स्वामी विवेकानंद ने धार्मिक कट्टरता और हिंसा के खिलाफ अपने संदेश से दुनिया को प्रभावित किया था: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि सेवा मिशन के 20वें स्थापना दिवस एवं स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर मिशन द्वारा आयोजित पंच दिवसीय कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस विश्व बन्धुत्व के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद का दृष्टिकोण विषय पर संवाद कार्यक्रम संपन्न
कुरुक्षेत्र\धर्म, आध्यात्म, ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति- जब इन सबका एक साथ जिक्र आता है तो सबसे पहला नाम आता है स्वामी विवेकानंद का। भारतीय इतिहास की सबसे महान विभूतियों में वे प्रसिद्ध है। अपने अल्प जीवनकाल में ही उन्होंने भारतीय संस्कृति और आध्यात्म की छाप और पहचान दुनिया के सामने प्रस्तुत की थी, जिससे खास तौर पर पश्चिमी देश काफी प्रभावित हुए थे। स्वामी विवेकानंद ने धार्मिक कट्टरता और हिंसा के खिलाफ अपने संदेश से दुनिया को प्रभावित किया था। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के 20वें स्थापना दिवस एवं स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में मिशन द्वारा आयोजित पंच दिवसीय कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस आयोजित विश्व बन्धुत्व के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद का दृष्टिकोण विषय पर संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ- श्रीप्रकाश मिश्र, कार्यक्रम की अतिविशिष्ट अतिथि जिला चिकित्सालय, नूंह के प्रसिद्ध एवं वरिष्ठ अस्थी चिकित्सक डॉ. मुहम्मद फारुक एवं वैदिक चिकित्सालय, नूंह के प्रबंध निदेशक डॉ. मुहम्मद आरिफ ने संयुक्त रूप से स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन से किया।


डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में 1893 में विश्व धर्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व अनुभव करता हूँ, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा था मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है, जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीडि़तों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद सदैव विश्व बंधुत्व के हिमायती थे। उनके द्वारा दुनिया के अनेक देशों में वैदिक संस्कृति को केन्द्र बनाकर सत्य, अहिंसा एवं सद्भावना का प्रचार प्रसार किया गया। उन्नीसवीं सदी के महान योगी स्वामी विवेकानंद अपनी स्पष्ट दृष्टि के कारण अपने समय से बहुत आगे थे। जिस समय दुनिया धार्मिक, वैचारिक श्रेष्ठता के लिए लड़ रही थी और एक-दूसरे की जमीन हड़पने में व्यस्त थी, स्वामीजी ने मानव सेवा ही भगवान की सेवा का संदेश दिया क्योंकि वे प्रत्येक मानव में ईश्वर को देख सकते थे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. मुहम्मद फारुक ने कहा कि स्वामीजी का विश्व बंधुत्व का सन्देश इस लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह मनुष्यों में किसी भी आधार पर भेद नहीं करता। वह सम्पूर्ण मानवता को एक सूत्र में पिरोता है। स्वामी विवेकानंद की दृष्टि आधुनिक समय में एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करती है। उन्हें अफ्रीकी देशों के लिए सत्य का स्रोत माना जाता है। इसने कई नेताओं के लिए रणनीतियों को लागू करने, नीतियां बनाने और अपने नागरिकों को एक साथ लाने और अन्य देशों के साथ जुड़ने और सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करने का मार्ग प्रशस्त किया है। डॉ. फारुक ने मातृभूमि सेवा मिशन के सेवा कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह मिशन वास्तविक रूप से स्वामी विवेकानंद के सपनों को साकार कर रहा है। निश्चित रूप से समाज के जरूरतमंदों की निस्वार्थ सेवा करके
कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि डॉ. मुहम्मद आरिफ ने कहा कि स्वामीजी का पूरा जीवन और शिक्षाएं लोगों को उठने और खुद का एक बेहतर संस्करण बनने का आ“वान करती रही हैं। स्वामी विवेकानंद ने सदैव युवाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। स्वामी विवेकानंद सदैव युवा पीढ़ी के आदर्श रहेंगे। मातृभूमि सेवा मिशन स्वामी विवेकानंद के विचारों और संदेशों की प्रयोगशाला है।
कार्यक्रम में सरोजा फाउडेशन के अध्यक्ष विरेन्द्र गोलन, समाजसेवी विक्रम राणा, धीरज सिंह, धर्मपाल सैनी सहित मिशन के सदस्यों सहित ब्रह्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में आए अतिथियों को मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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