स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि भारतीय सनातन संस्कृति में धर्मक्रांति एवं समाजक्रांति के सूत्रधार थेः डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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कुरुक्षेत्र। विश्व प्रसिद्ध भारतमाता मंदिर के संस्थापक, भारतीय अध्यात्म क्षितिज के उज्ज्वल नक्षत्र, निवृत्त शंकराचार्य, पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रनंद गिरि जी का जीवन सनातन वैदिक धर्म के लिए संपोषण के लिए समर्पित था। स्वामी सत्यमित्रनंद गिरि का भारत के संत महर्षियों में महत्वपूर्ण स्थान था। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने निवृत्त शंकराचार्य, पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रनंद गिरि जी के अविर्भाव दिवस पर मिशन द्वारा फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवं स्वामी सत्यमित्रनंद गिरि के चित्र पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा दीप्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने धार्मिक भजनों का गायन कर स्वामी जी को आदरांजलि आर्पित की।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी महाराज स्वयं में एक संस्था थे। हरिद्वार में भारतमाता मंदिर के संस्थापक थे, व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के नैतिक और आत्मिक उत्थान के लक्ष्य को लेकर वे सक्रिय थे। उन्होंने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को जिस चौतन्य एवं प्रकाश के साथ जिया है वह भारतीय ऋषि परम्परा के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने स्वयं ही प्रेरक जीवन नहीं जीया बल्कि लोकजीवन को ऊंचा उठाने का जो हिमालयी प्रयत्न किया है वह भी अद्भुत एवं आश्चर्यकारी है। अपनी कलात्मक अंगुलियों से उन्होंने नये इतिहासों का सृजन किया है कि जिससे भारत की संत परम्परा गौरवान्वित हुई है। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द की अनुकृति के रूप में प्रसिद्धि एवं प्रतिष्ठा पाई।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि भारतीय सनातन संस्कृति में धर्मक्रांति एवं समाजक्रांति के सूत्रधार थे। समन्वय-पथ-प्रदर्शक, अध्यात्म-चेतना के प्रतीक, भारत माता मन्दिर से प्रतिष्ठापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरिजी को 27 वर्ष की अल्प आयु में ही शंकराचार्य-पद पर अभिषिक्त होने का गौरव प्राप्त हुआ। वे लगातार दीन-दुखी, गिरिवासी, वनवासी, आदिवासी, हरिजनों की सेवा और साम्प्रदायिक मतभेदों को दूर कर समन्वय-भावना का विश्व में प्रसार करने के लिए प्रयासरत रहे। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2015 में उन्हें पदम् भूषण से सम्मानित किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों को स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि के आविर्भाव दिवस पर मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से पाठ्य पुस्तकें भेंट की गई। कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के अनेक सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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