श्रीमद्भगवद्गीता जीवन संग्राम में विजय प्राप्ति के लिए कर्मयोग की शिक्षा देता है: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

मातृभूमि सेवा मिशन के द्वारा अतंर्राष्टीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह-2022 के उपलक्ष्य में अठारह दिवसीय विश्व मंगल महायज्ञ का विधिवत वैदिक विधिविधान से गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में शंखध्वनि से शुभारंभ
मातृभूमि शिक्षा मंदिर एवं कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से आहुति डालते हुए विश्व मंगल की प्रार्थना की
शंखध्वनि से उद्घोष से गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह-2022 का आगाज

कुरुक्षेत्र\श्रीमद्भगवद्गीता संसार का लोकप्रिय ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ के सैंकड़ों अनुवाद हुए हैं। श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय मनीषा की मानव जाति को अनुपम देन है। श्रीमद्भगवद्गीता कालजयी रचना है। श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान की सार्वभौमिकता एवं सार्वकालिकता को सभी विद्वानों ने स्वीकारा है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अतंर्राष्टीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह-2022 के उपलक्ष्य में अठारह दिवसीय विश्व मंगल महायज्ञ के शुभारंभ अवसर पर गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्योतिसर तीर्थ पूजन के साथ वैदिक ब्रह्मचारियों द्वारा शंख ध्वनि से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर एवं कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से विश्व मंगल महायज्ञ में आहुति डालते हुए विश्व मंगल की प्रार्थना की।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि आज के आपा-धापी और अफरा-तफरी के इस युग में मानव विचलित, बेचैन एवं अवसाद ग्रस्त है। ऐसे में श्रीमद्भगवद्गीता मानव को शांति का उपदेश देती है। श्रीमद्भगवद्गीता जीवन संग्राम में विजय प्राप्ति के लिए कर्मयोग की शिक्षा देता है। श्रीमद्भगवद्गीता संसार की लोकप्रिय रचना है। विदेशी विद्वानों को भी श्रीमद्भगवद्गीता ने बहुत प्रभावित किया है। श्रीमद्भगवद्गीता शाश्वत मूल्यों का भण्डार है।


डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ-साथ, समस्त मानव जाति के लिए ज्ञान का स्त्रेत भी है। इसीलिए विश्व की लगभग सभी भाषाओं में इसके अनुवाद उपलब्ध हैं। मनुष्य जीवन का मार्गदर्शन श्रीमद्भगवद्गीता का मूल विषय एवं अभिप्राय है। यह ज्ञान भगवान् श्रीकृष्ण जी के मुखारविंद से एवं महर्षि वेदव्यास जी के माध्यम से महाभारत के युद्ध से कुछ पूर्व अर्जुन तक पहुँचा और तत्पश्चात् मानव जाति के कल्याण के लिए सुरक्षित रहा। श्रीमद्भगवद्गीता 700 श्लोकों पर आधारित है। ये सभी श्लोक, महाभारत के युद्ध के कुछ समय पूर्व श्रीकृष्ण-अर्जुन के संवाद के रूप में वर्णित किए गए हैं। डॉ. मिश्र ने कहा कि आज कुरुक्षेत्र में गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों को आकर्षित कर रहा है।
समस्त कार्यक्रम कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के आचार्य नरेश कौशिक के नेतृत्व में संपन्न हुआ। यज्ञ में राजस्थान के मकराना से नितेश सोनी, प्रदीप लाहोटी अपने परिवार सहित मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र गोलन ने किया। श्रीमती शकुन्तला माता को नित्य प्रतिदिन ज्योतिसर तीर्थ की यज्ञ कुण्ड की समर्पण भाव से स्वच्छता के लिए स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में धर्मपाल सैनी, श्रीमती अनु अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांतिपाठ से हुआ। इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा विगत् 15 दिसम्बर 2021 श्रीमद्भगवद्गीता जयंती से नित्य प्रति अनवरत् चल रहे दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 336वें दिवस श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम अध्याय की आहुति डाली गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *