शहीद चंद्रशेखर आजाद को देश एक महान युवा क्रांतिकारी और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले एक वीर सपूत के रूप में जानता है: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि शिक्षा मन्दिर के विद्यार्थियों ने आजादी के अमृतोत्सव एवं क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की
कुरुक्षेत्र\ जिस स्वतंत्र भारत में आज हम श्वास ले रहे हैं उसे परतंत्रता की जंजीरों से मुक्त कराने में न जाने कितने ही क्रांतिकारियों ने अपने प्राण न्यौछावर किए, सीने पर गोलियां खाईं और फांसी के फंदे को गले लगाकर अपना सर्वस्व न्योछावर करने में कभी पीछे नहीं हटे। देश के ऐसे ही क्रांतिकारियों में एक नाम है चन्द्रशेखर आजाद का, जिन्हें देश एक महान युवा क्रांतिकारी और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले एक वीर सपूत के रूप में जानता है। यह बात मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक श्रीप्रकाश मिश्र ने चन्द्रशेखर आजाद की जयंती पर बोलते हुए कहे। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर आश्रम परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में संदेश के रूप में व्यक्त किए। मातृभूमि शिक्षा मन्दिर के विद्यार्थियों ने शहीद चंद्रशेखर आजाद के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने चंद्रशेखर आजाद की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, महान स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। झाबुआ जिले में भील बालकों के साथ खेलते हुए चन्द्रशेखर आजाद ने धर्नुविद्या सीख ली थी और निशानेबाजी में वे अच्छी तरह पारंगत थे। 14 वर्ष की आयु में चन्द्रशेखर तिवारी ने बनारस में एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। आखिर में उन्होंने अपना नारा आजाद है आजाद रहेंगे अर्थात न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी को याद किया। इस तरह उन्होंने पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अपने संदेश कहा कि आजाद जब अलफ्रेड पार्क में पुलिस की गोलियों से आजाद घायल हो गए। चंद्रशेखर आजाद घायल होने के बावजूद 20 मिनट तक अंग्रेज पुलिसवालों से लड़ते रहे और अंतत: उन्होंने खुद को गोली मार ली। इलाहाबाद के जिस अलफ्रेड पार्क में उनका निधन हुआ, उस पार्क को आज चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से आज जाना जाता है। चंद्रशेखर आजाद ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए। जलियांवाला बाग हत्याकांड चंद्रशेखर आजाद की आंखों के सामने हुआ और ऐसे में चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लडऩे का संकल्प ले लिया। अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन में भाग लिया। इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन के सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे।

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