परिवार में प्रत्येक सदस्य का दायित्व है कि बच्चों में भौतिक संसाधनों के स्थान पर संस्कारों की सौगात दें: डा. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य राष्ट्रीय

मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा बच्चों के सर्वांगीण में विकास में संस्कारों का महत्व विषय पर संस्कार संवाद कार्यक्रम सम्पन्न

कुरुक्षेत्र/शिक्षा और संस्कार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है और संस्कार जीवन का सार है जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है। जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा तभी वह परिवार, समाज और देश के विकास की ओर अग्रसर होगा। यह विचार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा बच्चों के सर्वांगीण में विकास यही शिक्षा एवं संस्कारों का महत्व विषय पर आयोजित संस्कार संवाद कार्यक्रम मे मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वंदना से हुआ। संस्कार संवाद कार्यक्रम मे मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यर्थियों ने बहुत ही सारगर्भित प्रस्तुति दी। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा मानव जीवन में शिक्षा एवं संस्कारों का बड़ा महत्व माना गया हैं।


प्रबल संस्कार से शिक्षा पल्लवित होगी। वर्तमान समय में यह महसूस किया जा रहा है कि जैसे-जैसे शिक्षित नागरिकों का प्रतिशत बढ़ रहा है, वैसे-वैसे समाज में जीवन मूल्यों में गिरावट आ रही है। हमें मूल्यों के सौंदर्य का बोध होना चाहिए। विद्यार्थी जो देश का भविष्य हैं वे तनाव, अवसाद, बाहय आकर्षण और अनुशासनहीनता के शिकार हैं। इसका कारण पाश्चात्य संस्कृति, विद्यालय या समाज ही नहीं, बल्कि संस्कारों के प्रति हमारी उदासीनता है।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा परिवार बालक की प्रथम पाठशाला है तो माता-पिता प्रथम शिक्षक। विद्यालय में हम देख रहे हैं कि जो माता-पिता अपने बच्चों में अच्छे संस्कार आरोपित करते हैं वे वाह्य वातावरण से प्रभावित हुए बिना शिक्षक द्वारा दी गई विद्या को फलीभूत करते हैं। अत: परिवार में प्रत्येक सदस्य का दायित्व है कि बच्चों में भौतिक संसाधनों के स्थान पर संस्कारों की सौगात दें। कार्यक्रम में चरणजीत सिंह सुनारियां विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समाजसेवी रणधीर सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम का संचालन मातृभूमि शिक्षा मंदिर की सहयोगी सिमरन ने किया। इस अवसर पर विद्यार्थी शौर्य प्रताप सिंह का जन्मदिन भारतीय सनातन परम्परा के अनुरूप मनाया गया। कार्यक्रम का समापन शान्ति पाठ से हुआ।

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