महर्षि अत्रिमुनि सूर्यग्रहण के ज्ञान को देने वाले विश्व के प्रथम आचार्य थे: डा. श्रीप्रकाश मिश्र

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सूर्यग्रहण के पावन पर्व पर मातृभूमि सेवा मिशन सेवा मिशन द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के निमित्त एक धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र सूर्यग्रहण आयोजन समिति का गठन किया गया

सूर्यग्रहण के पावन पर्व पर मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में लोक मंगल के निमित्त एक वैदिक यज्ञ का आयोजन होगा

कुरुक्षेत्र\ मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में 25 अक्टूबर 2022 लगने वाले सूर्यग्रहण के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम संपन्न होंगे। रेलवे रोड स्थित मोहन लाल एंड संस पेंटस के सामने एक भंडारे का आयोजन होगा, जोकि अति प्रातः काल से देर रात्रि तक सूर्यग्रहण के अवसर पर आने वाले अतिथि रूपी श्रद्धालुओं को विशेष रूप से समर्पित होगा। मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने बताया की सूर्यग्रहण भारतीय सनातन वैदिक परंपरा का अति महत्वपूर्ण पर्व है।सूर्यग्रहण के पावन पर्व पर मातृभूमि सेवा मिशन सेवा मिशन द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के निमित्त एक धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र सूर्यग्रहण आयोजन समिति का गठन किया गया है और व्यवस्था के संदर्भ में एक बैठक संपन्न हुई।समाज सेवी अनुज सिंगला को संयोजक, विवेक गोयल, मोहिंद्र गोयल , तनुज काठपाल , आभाष गुप्ता, राजन जिंदल, अभिनव अग्रवाल, मानिक गोयल, गौरव सिंगला, रोहिन गोयल को सदस्य नियुक्त किया गया है। यह धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र सूर्यग्रहण आयोजन समिति के सभी सदस्य संपूर्ण श्रद्धाभाव से सूर्यग्रहण मेले में आने वाले समस्त श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था करेंगे। सूर्यग्रहण के पावन पर्व पर मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में लोक मंगल के निमित्त एक वैदिक यज्ञ का आयोजन होगा।

मातृभूमि शिक्षा मंदिर के ब्रह्मचारी इस यज्ञ में वैदिक मंत्रों से आहुति डालकर सर्वमंगल की कामना करेंगे। डा श्रीप्रकाश मिश्र ने बताया वैदिक काल से ही हमारे ऋषि मुनियों को खगोलीय संरचना सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण तथा उनकी पुनरावृत्ति का ज्ञान था । ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान उपलब्ध था।महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण के ज्ञान को देने वाले प्रथम आचार्य थे। वेदांग ज्योतिष से हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान का पता चलता है। प्राचीन काल से ही ग्रह नक्षत्रों की दुनिया की इस घटना का ज्ञान भारतीय मनीषियों के पास था उन्होंने सफलतापूर्वक इसकी गणना करनी शुरू कर दी थी। ग्रहण पर धार्मिक, वैदिक, वैचारिक, वैज्ञानिक विवेचन प्राचीन ज्योतिषीय ग्रन्थों से ही होता चला आया है। सूर्यग्रहण का पर्व भारत की विश्व में अति प्राचीनता का प्रतीक है। आज बैठक में मातृभूमि सेवा मिशन की युवा इकाई के अनेक सदस्य उपस्थित रहे।

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