कारगिल विजय दिवस भारत की अस्मिता, शौर्य, पराक्रम, स्वाभिमान, गौरवशाली अतीत एवं शक्ति सम्पन्नता का प्रतीक है: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में वीर शहीदों को नमन किया गया

कुरुक्षेत्र\ कारगिल विजय दिवस उन वीर शहीदों को समर्पित हैं, जो हंसते हंसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दिन समर्पित है उन शहीदों को जिन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया। कारगिल विजय दिवस भारत की अस्मिता, शौर्य, पराक्रम, स्वाभिमान, गौरवशाली अतीत एवं शक्ति सम्पन्नता का प्रतीक है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने तिरंगा लहराकर कारगिल विजय दिवस की स्मृति में वीर शहीदों को नमन किया। विद्यार्थियों ने देश भक्ति से ओत-प्रोत प्ररेक प्रसंग भी सुनाए।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि इस युद्ध का कारण था बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों व पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा लाइन ऑफ कंट्रोल अर्थात भारत-पाकिस्तान की वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर प्रवेश कर कई महत्वपूर्ण पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लेह-लद्दाख को भारत से जोड़ने वाली सड़क का नियंत्रण हासिल कर सियाचिन-ग्लेशियर पर भारत की स्थिति को कमजोर कर हमारी राष्ट्रीय अस्मिता के लिए खतरा पैदा करना। हर साल 26 जुलाई को उस ऐतिहासिक दिन को चिह्नित करने के लिए करगिल विजय दिवस मनाया जाता है, जब भारत ने 1999 में हुए करगिल युद्ध में पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी। करगिल विजय दिवस भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण दिन है। करगिल विजय दिवस देश भर में उन भारतीय नायकों को याद करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

डॉ. मिश्र ने कहा कि भारत के जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों के मनसूबों को धूल चटाई और करगिल की चोटियों पर तिरंगा लहरा दिया। जिसे हम करगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल की ऊंची पहाडि़यों पर घुसपैठ करके अपने ठिकाने बना लिए थे। जब भारतीय सेना को इसकी भनक तक नहीं लगी थी, लेकिन जब भारतीय जवानों को पता चला तो उन्होंने पाकिस्तानी सेना के जवानों को खदेड़ दिया और करगिल की चोटियों पर तिरंगा लहराया। करगिल युद्ध 1999 में समाप्त हुआ जब भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के कब्जे वाले पर्वतीय चौकियों पर नियंत्रण वापस ले लिया। कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना के अदम्य साहस और शक्ति सम्पन्नता का परिचायक है। यह दिन हर भारतीय के लिए एक समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का संकल्प का प्रतीक है।

कार्यक्रम में डॉ. सनीश भारद्वाज अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों को राष्ट्र सेवा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में श्रीमती सीमा देवी एवं श्रीमती अंजलि भारद्वाज ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कारगिल के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। गुरप्रीत सिंह, शिक्षक बाबू राम, हिमांशु एवं आर्यन सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत वन्देमातरम् से हुआ।

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