हमारे पर्व एवं परंपराएं भारत की प्राचीनता एवं राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक है: डा. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य धर्म

तुलसी पूजन दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में भारतीय पर्व एवं परंपरा संवाद कार्यक्रम संपन्न

कुरुक्षेत्र| हिन्दू धर्म में प्रकृति पूजन को प्रकृति संरक्षण के तौर पर मान्यता है। भारत में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों के साथ मानवीय रिश्ते जोड़े गए हैं। पेड़ की तुलना संतान से की गई है तो नदी को मां स्वरूप माना गया है।प्रकृति को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पश्चिम में मजबूत परंपराएं भी नहीं थीं। प्रकृति संरक्षण का कोई संस्कार अखण्ड भारतभूमि को छोड़कर अन्यत्र देखने में नहीं आता है। जबकि सनातन परम्पराओं में प्रकृति संरक्षण के सूत्र मौजूद हैं। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने मिशन द्वारा आयोजित तुलसी पूजन दिवस के उपलक्ष्य में आश्रम परिसर में आयोजित भारतीय पर्व एवं परंपरा संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां तुलसी के वृक्ष के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने तुलसी माता की आरती कर पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लिया।

कार्यक्रम में हिंदू धर्म की रक्षा की रक्षा के लिए माता गूजरी व चारों साहिबज़ादों को क़ुर्बान करने वाले दशमेश पिता को शत शत नमन करते हुए मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों को प्रणाम किया।महान शिक्षाविद काशी हिंदू विश्व विद्यालय के संस्थापक भारत रत्न पंडित मदनमोहन मालवीय एवम भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को उनकी जन्म जयंती पर मातृभूमि सेवा मिशन परिवार की ओर से आदर्ंजलि अर्पित की गई।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज हमे अपने पर्व एवं परंपराओं के महत्व एवं उनमें विद्यमान सामाजिक, धार्मिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों को समझने की आवश्यकता है। हमारे पर्व एवं परंपराएं भारत की प्राचीनता एवं राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक है। हमारे पर्व मेंन केवल आनंद के माध्यम बल्कि देश के विश्व बंधुत्व, सामाजिक एवं आर्थिक विकास के सशक्त माध्यम है। पश्चिम संस्कृति के देश पर पड़ते कुप्रभाव एवं निरंतर गिरते जीवन मूल्य देश के स्वामिभान, सुरक्षा एवं विकास के लिए अशुभ है। हमारे पर्व, परंपराएं एवं संस्कृति हमारे देश के प्राण है, इनके बिना राष्ट्र की संकल्पना नहीं हो सकती।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रोफेसर डा. आशू कुमार गर्ग, व्यवसायी एवं समाजसेवी ऋषभ रावल ने बतौर अतिविशिष्ट उद्बोधन देकर भारतीय पर्व एवं परंपराओं के वर्तमान समय में महत्व पर अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में मुरली शर्मा, रिंकू , हरि व्यास सहित मिशन के सदस्य एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।

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