अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि आर्पित की

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर शहीद संवाद कार्यक्रम संपन्न

कुरुक्षेत्र
हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ़ अथक संघर्ष किया है। भारत के स्वतंत्रता के सबसे महान शहीदों में से एक है चंद्रशेखर आजाद। जो भारत माता के सच्चे सपूत कहलाते हैं। चंद्रशेखर आजाद की बहादुरी हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में याद की जाती है। चंद्रशेखर आजाद का जीवन क्रांतिकारी गतिविधियों से भरा रहा है। आज दुनिया भर में चंद्रशेखर आजाद का नाम एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित शहीद संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि आर्पित की। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा चंद्रशेखर आजाद के जीवन से संबंधित संस्मरण प्रस्तुत किए। विद्यार्थियों ने चंद्रशेखर आजाद के जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने अपने संघर्षों और बलिदान से भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। देश की आजादी का पर्व कई सपूतों के बलिदान से हमें मिला। जिसमे आजाद प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे 1919 में अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। इस घटना ने दिखाया कि कैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने बुनियादी मानवाधिकारों की खुले तौर पर अनदेखी की। उन्होंने निर्दोष और निहत्थे नागरिकों के एक समूह पर हिंसा का इस्तेमाल किया। इस घटना से बहुत परेशान होकर चंद्रशेखर महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हो गए। गांधी जी के असहयोग आंदोलन की घोषणा की। इसने राष्ट्रवाद की पहली लहर को जन्म दिया। आजाद ने जीवन को देश की आजादी के लिए झोंक दिया।
डॉ. मिश्र ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ब्रिटिश राज के लिए एक आतंक साबित हुए थे। ब्रिटिश अधिकारी आजाद को हर तरह से पकड़ना चाहते थे। उन्होंने आजाद को पकड़ के लाने पर एक बड़ी राशि का इनाम देने की भी घोषणा की। इस घोषणा के चलते एक मुखबिर ने आजाद का ठिकाना लीक कर दिया। 27 फरवरी 1931 को आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने दोस्तों से मिलने जा रहे थे। पुलिस पहले से ही पार्क में मौजूद थी और आजाद को स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद में समाजवादी क्रांति का आवाहन किया। उन्होंने संकल्प लिया था कि वह ना तो ब्रिटिश सरकार द्वारा पकड़े जाएंगे और ना ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।
कार्यक्रम में शिक्षक हरि कृष्ण व्यास, गुरप्रीत सिंह, बाबू लोहट, शमशेर सहित मिशन के अनेक सदस्य एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान एवं शांति पाठ से हुआ।

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