अमर शहीद मदन लाल ढींगरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महनायक थेः डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा मातृभूमि भारत के वीर सपूत अमर क्रांतिकारी शहीद मदनलाल ढींगरा की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम सम्पन्न
कुरुक्षेत्र। मदनलाल धींगड़ा भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। भारतीय स्वतंत्रता की चिनगारी को अग्नि में बदलने का श्रेय महान शहीद मदन लाल ढींगरा को ही जाता है। अमर शहीद मदन लाल ढींगरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महनायक थे। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि भारत के वीर सपूत अमर क्रांतिकारी शहीद मदनलाल ढींगरा की जयंती के उपलक्ष्य में मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि मदनलाल ढींगरा का पिता सिविल सर्जन थे और वे अंग्रेजी स्टाइल में रहते थे परंतु माता धार्मिक प्रवृति की थी। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। परंतु मदनलाल प्रारंभ से ही क्रांतिकारी विचारधार के थे। इसी कारण उन्हें लाहौर के विद्यालय से निकाल दिया गया था। परिवार ने भी उनसे नाता तोड़ लिया था। तब उन्होंने एक लिपिक, एक तांगा चालक और एक मजदूर के रूप में काम करके अपना पेट पाला। जब वे एक कारखाने में मजदूर थे तब उन्होंने एक यूनियन बनाने का प्रयास किया, परंतु वहां से उन्हें निकाल दिया गया।
डॉ. मिश्र ने कहा कि अमर शहीद मदन लाल ढींगरा के शब्द थे, धन और बुद्धि से हीन मेरे पास सिर्फ मेरा रक्त और जीवन है। उसे मैं भारतमाता की पवित्र बेदी पर समर्पित कर रहा हूँ। मौजूदा समय में केवल और केवल देश के लिए मरना सीखना है और खुद मरकर दूसरों को मरना सिखाना है। ईश्वर से बस यही प्रार्थना है। फिर उसी माँ की कोख से जन्म लूं। फिर उसी महान उद्देश्य के लिए जान दूँ। तब तक, जब तक देश आजाद न हो जाये।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी मदन लाल ढींगरा का सम्पूर्ण जीवन मातृभूमि भारत की सेवा को समर्पित था। उन्होंने ब्रिटेन में क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेकर मातृभूमि की सेवा की थी। इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 23 जुलाई, 1909 का अभियोग चलाया गया । मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा कि मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं। यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है। मदनलाल ढींगरा एक क्रांतिकारी थे। 18 फरवरी 1883 को उनका जन्म पंजाब में हुआ और 17 अगस्त 1909 में वे मात्र 26 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे। भारतीय युवा पीढ़ी के लिए मदनलाल ढींगरा सदैव आदर्श रहेंगे और भारत राष्ट्र सदैव उनका ऋणी रहेगा।
कार्यक्रम में काइंड बिंगस, कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष, राघव गर्ग, अमनप्रीत, नमन शर्मा, मोंटी, यश कामरा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने शहीद मदनलाल ढींगरा के जीवन पर आधारित अनेक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *