नगरायुक्त गजल भारद्वाज ने किया मल्हीपुर रोड स्थित एसटीपी प्लांट का निरीक्षण

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सहारनपुर\ नगरायुक्त ने मल्हीपुर रोड स्थित एसटीपी प्लांट का गहनता से निरीक्षण किया और जल निगम को ढमोला के दूसरे छोर पर बनने वाले एसटीपी प्लांट को जल्दी से जल्दी शुरु कराने पर जोर दिया। उन्होंने पूरी कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए ताकि उसका निर्माण जल्दी शुरु कराने के लिए शासन स्तर पर भी वार्ता की जा सके। नगरायुक्त ने प्लांट से उपचारित कर ढमोला में डाले जा रहे पानी का पीएच वैल्यू ज्ञात करने के अलावा अन्य परीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए।

नगरायुक्त गजल भारद्वाज ने अपर नगरायुक्त राजेश यादव सहित निगम अधिकारियों के साथ मल्हीपुर रोड स्थित एसटीपी प्लांट का निरीक्षण किया और एसटीपी से सीवर के पानी को साफ करने की पूरी प्रक्रिया की प्लांट के प्रत्येक कार्य स्थल पर जाकर बारीकी से जानकारी ली। जल निगम के सहायक अभियंता वेदपाल सिंह ने नगरायुक्त को बताया कि यह 38 एमएलडी क्षमता का प्लांट है। उन्होंने बताया कि जलनिगम को अब दो भागों में बांट दिया गया है। एक शहरी और दूसरा ग्रामीण। वेदपाल ने बताया कि नमामि गंगे की वन सिटी वन ऑपरेटर योजना के अंतर्गत इसका संचालन जलनिगम शहरी द्वारा किया जा रहा है।

महानगर के कितने नाले टैप कर उन्हें यहां उपचारित किया जा रहा है ? नगरायुक्त द्वारा यह पूछे जाने पर सहायक अभियंता वेदपाल ने बताया कि कुल 105 नालों में से 51 नालों को टैप किया गया है, इनमें कुछ आंशिक रुप से किये गए हैं। उन्होंने बताया कि बाकि बचे हुए नालों को ग्रामीण जल निगम द्वारा सीवर लाइन में टैप करते हुए दूसरे एसटीपी तक लाया जायेगा। उन्होंने बताया कि लगभग 135 एमएलडी क्षमता का दूसरा एसटीपी प्लांट के सामने ढमोला के दूसरी तरफ बनाया जाना प्रस्तावित है। उसके लिए स्थान काफी पहले अधिग्रहित कर लिया गया था। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शासन से अभी उसके निर्माण के लिए धनराशि नहीं भेजी गयी है। इस पर नगरायुक्त ने जल निगम को निर्देश दिए कि वे उक्त एसटीपी प्लांट की पूरी कार्ययोजना प्रस्तुत करें ताकि शासन में वार्ता कर उसका निर्माण जल्दी से जल्दी शुरु कराया जा सके।

एसटीपी के साइट इंचार्ज नरेन्द्र सिंह ने बताया कि सीवरेज को यहां तक लाने के लिए शहर में चार पम्पिंग स्टेशन धोबीघाट, दालमंडी, राकेश सिनेमा और गोविंद नगर मंे बनाये गए हैं। वहां से सीवर को प्लांट के एमपीएस एक और दो में लाकर उसे साफ करते हुए ग्रिड चैम्बर से होते हुए रियेक्टर में भेजा जाता है जहां सीवर में जो ऑर्गेनिक मैटर होता है उसे एनॉरोबिक बैक्टिरियां डीकम्पोज़ कर देता है। उन्होंने बताया कि प्लांट का पानी उपचारित कर ढमोला नदी में छोड़ा जाता है। आगे जाकर ढमोला नदी हिंडन में और हिंडन नदी यमुना नदी में मिल जाती है। इसीलिए यमुना एक्शन प्लान फेज़ वन के तहत इसकी स्थापना की गयी थी।

नगरायुक्त ने प्लांट के अंतिम छोर पर उस स्थान को भी देखा जहां से पानी ढमोला नदी में छोड़ा जा रहा है। नगरायुक्त के पूछने पर नरेंद्र सिंह ने बताया कि जो पानी उपचारित कर ढमोला नदी में छोड़ा जाता है उसका हर रोज नमूना लेकर उसका प्लांट की लैब में परीक्षण किया जाता है। नगरायुक्त ने अपने सामने नमूना लेकर उसका परीक्षण कराया जिसका पीएच वैल्यू 7.4 पाया गया। साइट इंचार्ज ने बताया कि इस पानी का पीएच वैल्यू 6.5 से 8.5 के बीच ही रहना चाहिए। नगरायुक्त ने नमूने के तौर पर लिए गए पानी की टीएसएस, बीओडी और सीओडी जांच कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए। इस दौरान अधिशासी अभियंता जलकल सुशील सिंघल, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी रवीश चौधरी, सहायक अभियंता रजनीश मित्तल व अवर अभियंता देशांतर भी मौजूद रहे।

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