मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस एवं आजादी के अमृतोत्सव के उपलक्ष्य में आश्रम परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम सम्पन्न

कुरुक्षेत्र\प्रकृति हमें हमारी दैनिक जरूरतों के लिए सभी आवश्यक चीजें प्रदान करती है। अधिक जनसंख्या और मानवीय लापरवाही के कारण हम अपने संसाधनों का अत्यधिक दोहन करने लगे। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए कोई संसाधन नहीं बचेगा।आज संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता है। मानव जीवन और प्रकृति के बीच एक शाश्वत, अखंड एवं अटूट संबंध है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस एवं आजादी के अमृतोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में श्रीमती अन्नू, श्रीमती जस्सी एवं नवदीप ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने संयुक्त रूप से वृक्षारोपण कर प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि  प्राकृति के असंतुलन होने के कारण आज लोग ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं, तापमान में बढ़ोतरी, आदि जैसे कई प्रकार के समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसलिए अगली पीढ़ी को इससे बचाने के लिए आज से ही प्रकृति का संरक्षण करना एवं संसाधनों को बचाने के महत्व को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह हमें और हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य वनस्पतियों और जीवों जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करना है।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि मानव और प्रकृति के बीच एक अटूट संबंध है। प्रकृति मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करती है तो वहीं वह मानव के विभिन्न क्रियाकलापों से स्वयं प्रभावित भी होती है। पूरी दुनिया के मौसम और जलवायु में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अब समय आ गया है जब हम सबको पूरी गंभीरता और जवाबदेही के साथ प्रकृति के संरक्षण के बारें में सोचना होगा। डा. मिश्र ने कहा 28 जुलाई को दुनियाभर में मनाया जाने वाला विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस एक और महत्वपूर्ण दिन है जो हमें हमारे जीवन में प्रकृति के महत्व की याद दिलाता है और इसे संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यदि सम्पूर्ण विश्व के लोग प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूक नही हुए तो आने वाला समय बहुत भयावह एवं तबाही का होगा। अतः समय रहते सबको प्रकृति के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करना होगा। प्रकृति के संरक्षण के लिए एक ऐसे आंदोलन ओर आवश्यकता है, जिसमे पूरा विश्व सहभागी हो।