भारत की राष्ट्रपति महाहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत एवं भारतीयता की उपासक हैं: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के भारत की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने पर श्रीमद्भगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में वैदिक यज्ञ संपन्न
कुरुक्षेत्र\मनुष्य जीवन का अभिप्राय कर्म करने में है। परन्तु कर्मों के परिणाम पर उसका अधिकार नहीं होता। परिणाम की चिंता किये विना कर्म में लगा रहनेवाला ही कर्मयोगी कहलाता हैं। कर्मयोग सिखाता है कि आसक्ति रहित कर्म करो! कर्म के लिए कर्म करो! कर्मयोगी कर्म का त्याग नहीं करता, वह कर्म फल का त्याग करता है और कर्मजनित दुखों से मुक्त हो जाता है। भारत की यशस्वी प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धांत को आत्मसात कर राष्ट्रसेवा में अपना जीवन समर्पित किया है।

यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के भारत की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में उनके सर्वोत्तम कार्यकाल एवं स्वस्थ्य एवं मंगल जीवन के निमित्त आयोजित वैदिक यज्ञ पर व्यक्त किए। श्रीमद्भगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा विगत् 15 दिसम्बर 2021 श्रीमद्भगवद्गीता जयंती से नित्य प्रति अनवरत् चल रहे दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 230वें दिवस श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय की आहुति डाली गई। कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के ब्रह्मचारियों ने संयुक्त रूप से वैदिक यज्ञ में सस्वर वैदिक मंत्रेच्चारण के साथ आहुति डाली।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि हमारा आधुनिक जीवन भौतिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण तथा बाहरी विकास पर ही केन्द्रित हो गया है। आन्तरिक विकास को उपेक्षित कर मानव जीवन का सन्तुलन तो बिगड़ा ही है। साथ ही विलासिता की भोग सामग्रियों से घिरा मानव भीतर ही भीतर एकांकी, अपूर्ण व रिक्त सा अनुभव करता है। जीवन के वास्तविक आनन्द की प्राप्ति में श्रीमद्भगवद्गीता की अहम भूमिका है जो भोग में नहीं अपितु कर्म में ही जीवन का आनन्द लेने का सन्देश प्रदान करती है। लगभग सभी विकसित देशों में यह स्थिति समान रूप से समस्या बनकर वहाँ के नागरिकों के समक्ष खड़ी है। अनिद्रा, बेचैनी, अवसाद, तनाव ने मानव के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिये हैं। परन्तु श्रीमद्भगवद्गीता आज मानव की इन असीमित समस्याओं का एकमात्र समाधान व दृढ़ आधार के रूप में प्रस्तुत है।

डॉ. मिश्र ने कहा कि भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का जीवन ओडिसा के मयूर्रभंज के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने देश के सर्वोच्च पद तक का सफर तय किया है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू आजादी के बाद पैदा होने वाली भारत की पहली और सबसे कम आयु की राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक शिक्षिका के रूप में काम किया। भारत की राष्ट्रपति महाहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत एवं भारतीयता की उपासक हैं। 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। एक शिक्षिका के रूप में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में अलग-अलग विषयों को पढ़ाया। द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया था।

उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू सदैव समाज के जरूरतमंद लोगों के सहायता के लिए समर्पित रहती हैं। डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारत की राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का कार्यकाल निश्चित रूप से भारत को एक नई दिशा देने वाला होगा। उनके मार्गदर्शन एवं निदर्शेन में सब प्रकार से सर्वश्रेष्ठ बनेगा तथा विश्व शक्ति के रूप में विश्वगुरु की प्रतिष्ठा पर प्रतिष्ठित होगा। भारत की आजादी के अमृतोत्सव के काल में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए एक शुभसंकेत और गौरव का विषय है।

मॉरीशस के सामाजिक कार्यकर्ता शिवचरण अति विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि महाहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के भारत गणराज्य का राष्ट्रपति बनने पर हम सभी मॉरीशस के लोग बहुत ही गौरवान्वित हैं। उनके राष्ट्रपति बनने से भारत एवं मॉरीशस के संबंध और अधिक प्रगाढ़ होंगे तथा मॉरीशस में भारत की जड़े और अधिक मजबूत होंगी। एक सामान्य आदिवासी परिवार की महिला को राष्ट्रपति पद जैसे पद पर आसीन होने से भारत के लोकतंत्रत्मक व्यवस्था पूरे विश्व के लिए एक मिशाल है। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य जसबीर राणा बाहरी ने कहा भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू दृढ़इच्छा शक्ति एवं शुद्ध संकल्प से संपन्न मातृशक्ति हैं। कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के आचार्य नरेश कौशिक ने आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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