विद्यार्थी जीवन में मन-मस्तिष्क की एकाग्रता योग द्वारा ही प्राप्त हो सकती है-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हरियाणा योग आयोग द्वारा 75 लाख सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने सूर्य नमस्कार किया

कुरुक्षेत्र\योग की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है और इसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। अर्थात प्राचीनतम धर्मों या आस्थाओं के जन्म लेने से काफी पहले योग का जन्म हो चुका था। योग विद्या में शिव को आदि योगी तथा आदि गुरू माना जाता है। वर्तमान अवसादग्रस्त युवा पीढ़ी के लिए योग संजीवनी के समान है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हरियाणा योग आयोग द्वारा 75 लाख सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर विद्यार्थियों के मध्य व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र एवं 75 लाख सूर्य नमस्कार कार्यक्रम, कुरुक्षेत्र के मीडिया प्रवक्ता गुलशन ग्रोवर ने संयुक्त रूप से योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर दीपप्रज्जवलन एवं पुष्पार्चन कर संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर विद्यार्थियों ने अपनी भागीदारी दर्ज करते हुए सूर्य नमस्कार की सभी मुद्राओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि विद्यार्थी जीवन हेतु योग क्रियाएँ उतनी ही महत्वपूर्ण होती हैं जैसे कि मरुभूमि में जल की आवश्यकता वास्तव में आज वर्तमान समय में देखा जाए तो विद्यार्थियों के लिए योग बहुत ही लाभदायक माना गया है इससे बच्चों के मन-मस्तिष्क में स्थिरता आती है और बच्चों को अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में भी पूर्ण रूप से सहायता मिलती है। योग के चमत्कार को तो पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है इसी वजह से दुनिया के अधिकांश देशों में योग शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। योग के प्रभाव को देखते हुए आज चिकित्सक एवं वैज्ञानिक योग के अभ्यास की सलाह देते हैं। डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि योग शिक्षा जितनी कम उम्र से ली जाये, उतना ही शरीर को ज्यादा लाभ पहुँचाती है और वैसे भी बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में ज्यादा लचकदार होता है इसलिए बच्चे चीजों को जल्दी और आसानी से ग्रहण कर ले जाते हैं।
75 लाख सूर्य नमस्कार कार्यक्रम, कुरुक्षेत्र के मीडिया प्रवक्ता गुलशन ग्रोवर ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ शिक्षा का ही निवास सम्भव है और यह काम योग द्वारा ही संभव है। योग से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है और मन को शक्ति देता है। योग बच्चों के मन-मस्तिष्क को उसके कार्य के प्रति जागरूक करता है।

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