रक्षाबंधन सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता एवं एकसूत्रता का सांस्कृतिक पर्व हैः डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि सेवा मिशन श्रावण आजादी के अमृतोत्सव, श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षा बंधन के अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य आश्रम परिसर में राखी मिलन एवं वृक्ष पूजन कार्यक्रम सम्पन्न

कुरुक्षेत्र। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षा बंधन के अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में राखी मिलन एवं वृक्ष पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा वृक्ष पूजन कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यर्थियों द्वारा विगत एक माह से चल रहे श्रावन साधना माह का भगवान शिव के रुद्रशभिषेक से समापन हुआ।

मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि रक्षा बंधन का पर्व विशेष रुप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है। एक ऐसा बंधन जो दो जनों को स्नेह की धागे से बांध ले। रक्षा बंधन को भाई-बहन तक ही सीमित रखना सही नहीं होगा। बल्कि ऐसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है। भाई-बहन के रिश्तों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना, एक भाई का दूसरे भाई को, बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक-दूसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कई जगह यह उल्लेखित है कि जो मानव वृक्षों को बचाता है, वृक्षों को लगाता है, वह दीर्घकाल तक स्वर्ग लोक में निवास पाकर भगवन इन्द्र के समान सुख भोगता है। पेड -पौध बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के वातावरण में स्वयं को अनुकुल रखते हुए, मनुष्य जाति को जीवन दे रहे होते है. इस धरा को बचाने के लिये राखी के दिन वृक्षों की रक्षा का संकल्प लेना, बेहद जरूरी हो गया है। आईये हम सब मिलकर राखी का एक धागा बांधकर एक वृक्ष की रक्षा का वचन लें।

डॉ. मिश्र ने कहा कि आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, जो यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है। वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है। उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है। वर्तमान समाज में हम सब के सामने जो सामाजिक कुरीतियां सामने आ रही है. उन्हें दूर करने में रक्षा बंधन का पर्व सहयोगी हो सकता है। आज जब हम बुजुर्ग माता-पिता को सहारा ढूंढते हुए वृद्ध आश्रम जाते हुए देखते है, तो अपने विकास और उन्नति पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ पाते है। इस समस्या का समाधन राखी पर माता-पिता को राखी बांधना, पुत्र-पुत्री के द्वारा माता पिता की जीवन भर हर प्रकार के दायित्वों की जिम्मेदारी लेना हो सकता है। इस प्रकार समाज की इस मुख्य समस्या का सामाधान किया जा सकता है। कार्यक्रम मे सिमरन एवं आरती ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के सभी बच्चों को रक्षासूत्र बांधा। कार्यक्रम मे वीरेंद्र गोलन, बाबूराम, हरि व्यास सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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